आदर्श ग्राम में नरक की जिंदगी… जहां लोग महीनों घरों में कैद रहने को हो जाते हैं मजबूर..मंत्री से लेकर अधिकारी तक को, ग्रामीण लगा चुके हैं गुहार…

चतरा जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर पंचायत देवरिया अंतर्गत सेसांग आदर्श ग्राम के रूप में चयनित हैं। परंतु आदर्श गांव के लोग आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं। जिला मुख्यालय से लगे इस गांव तक जाने के लिए सड़क तक नहीं होने की समस्या विगत एक दशक से है। ग्रामीणों ने हर जगह सड़क के लिए गुहार लगाई लेकिन किसी ने ध्यान तक नहीं दिया।

सेसांग वार्ड नंबर 12 है लगभग 100 घरों की अनुसूचित जनजाति (S.T) के आबादी है इन ग्राम वासियों को अपने गांव से आने जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है। गांव वासी आज भी सदियों पुराने कच्चे मार्ग से ही आना-जाना करते हैं। बाकी मौसम में तो लोग किसी प्रकार से कच्चे रास्ते से आना जाना कर लेते हैं। लेकिन बारिश के मौसम में कच्चे रास्ते से निकलना नामुमकिन है। 2 किलोमीटर तक कच्चे रास्ते में जगह जगह पर पानी, कीचड़ , गड्ढे से चलना आसान नहीं रहता है। जब सेसांग गांव को आदर्श गांव के रूप में चयनित हुआ था तब ग्रामवासी को काफी उम्मीद जगी थी की अब ग्राम का कायाकल्प होगा और सभी मूलभूत सुविधा प्राप्त होगी। परंतु ये घोषणा महज एक घोषणा ही रह गई। इस सड़क के लिए कई बार झारखंड सरकार के मंत्री सत्यानंद भोक्ता और पंचायत सरपंच , मुखिया से गुहार लगाई गई लेकिन अब तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया।

ग्रामीण अपनी समस्या हर जगह पहुंचा कर थक चुके है ,और बस आज भी एक आस के सहारे जी रहे हैं की काश हमारे गांव की सड़क बन जाए । यहां की सड़क की समस्या को देखकर ऐसा लगता है मानो सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन के विकास और पंचायत को मजबूत बनाने की घोषणा महज बेमानी है।

अधिकारी तक समस्या पहुंचने के बाद भी ध्यान आकृष्ट न होना किसी अजूबे से कम नहीं। इन सब के बावजूद ग्रामीण अब तक गांव में सड़क निर्माण की आस संजोए हैं। सड़क निर्माण का प्रस्ताव कई बार ग्राम सभा की भी भेजा गया परंतु ग्राम सभा द्वारा अभी तक स्वीकृति नहीं मिल पाई।

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