जयपुर। शिक्षा विभाग में ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसने विभाग के भी होश उड़ा दिये हैं। मामला सामने आने के बाद अब तक तीन फर्जी टीचर सहित शिक्षा विभाग के अधिकारी व शिक्षक को सस्पेंड कर दिया गया है। टीचर दंपती के स्थान पर डमी टीचरों की ओर से शिक्षण कार्य कराए जाने के मामले में अब शिक्षक दंपती के बाद पीईईओ और इसी स्कूल में नियुक्त एक महिला टीचर को भी शनिवार को निलंबित कर दिया गया है।

दरअसल पूरा मामला बारां के राजपुरा में स्थित गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल का है। यहां स्कूल के हेड मास्टर और उसकी टीचर पत्नी की जगह स्कूल में 3 फर्जी शिक्षक वर्षों से पढ़ाई करा रहे थे। मामला उजागर होने के बाद कई अधिकारी और पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में है। आरोप है कि फर्जी शिक्षकों को नियुक्त कर हेडमास्टर अपना कारोबार करता था, वहीं शिक्षिका पत्नी अलग-अलग संगठनों से जुड़ी थी और नेतागिरी करती थी।

खुलासे के मुताबिक आरोपी शिक्षक दंपती सरकार से हर महीने डेढ़ लाख रुपए से अधिक वेतन लेते थे और इन फर्जी शिक्षकों को 15 हजार रुपए महीना देते थे। गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल में शिक्षक दंपत्ती ने 3 फर्जी शिक्षकों को अपने बदले पढ़ाने के लिए नियुक्त कर रखा था। रख रखे थे। जानकारी के मुताबिक स्कूल में हेड मास्टर विष्णु गर्ग और उसकी पत्नी मंजू गर्ग टीचर के पद पर तैनात थी। स्कूल में छापा मारा तो टीचर दंपती की जगह विष्णु भारद्वाज, खुशबू, सुगना स्टूडेंट को पढ़ाती हुई मिली। पुलिस ने तीनों को हिरासत में ले लिया है।

जांच में सामने आया कि टीचर दंपती 20 साल से इसी जगह तैनात है। बताया जा रहा है की बीते कई सालों से ये दोनों स्कूल नहीं आते थे। विष्णु को 7 हजार और दोनों महिला टीचर को 4-4 हजार रुपए महीने देते थे। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। वहीं, आरोपी टीचर दंपती की तलाश की जा रही है। आरोपी विष्णु गर्ग 1996 से और उसकी पत्नी 1999 से यहां पदस्थापित हैं। दोनों करीब 24 साल से एक ही जगह पोस्टिंग लेकर बैठे हैं और हर महीने करीब डेढ़ लाख रुपए वेतन उठा रहे हैं, जबकि पति-पत्नी दोनों ने स्कूल नहीं जाकर 15 हजार रुपए में 3 डमी टीचर रखे थे।

प्रिंसिपल गर्ग बारां में प्रॉपर्टी और ट्रांसपोर्ट का कारोबार चलाता है। स्कूल के बच्चों का तो यह तक कहना है कि गर्ग दंपती कभी-कभार स्कूल आते तो वे उन्हें अतिथि ही समझते थे। खास बात तो यह है कि कलेक्ट्रेट में संचालित प्रारंभिक शिक्षा विभाग कार्यालय से करीब 10 किमी दूर ही यह खेल चलता रहा, लेकिन मामले में कभी कार्रवाई तो दूर जांच तक नहीं हुई। अब मामला खुलने पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मॉनिटरिंग पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।

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