Pulwama Attack: पुलवामा हमले के शहीदों की 5 मार्मिक कहानियां, अभी तक नहीं सूखे आंसू

Pulwama Attack Martyrs Emotional Stories: 14 फरवरी…पूरी दुनिया जहां इस तारीख पर Valentine Day मनाती है, वहीं भारत में इस तारीख को ‘ब्लैक डे’ मनाया जाता है, क्योंकि इस तारीख को भारतीयों को कभी न भुला सकने वाला दर्द मिला था।इस दिन ऐसा घटनाक्रम हुआ था कि पूरा देश दहल गया था। उस वीभत्स हादसे और कायराना हमले को 6 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन उस हमले में मारे गए भारत मां के वीर सपूतों का बलिदान आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। आज भी उस दिन मिले जख्म भरे नहीं हैं। आज भी शहीदों के परिजनों के आंसू सूखे नहीं हैं।

Pulwama Attack:14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर CPRF के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था। जब जवानों का काफिला पुलवामा के पास पहुंचा तो 200 किलो RDX से भरी मारुति कार ट्रक से भिड़ गई। टक्कर होते ही इतना भयंकर विस्फोट हुआ कि आग की लपटों ने कई ट्रकों और 2 बसों के परखच्चे उड़ा दिए। हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे। यह आतंकी हमला भारत में अब तक हुए आतंकी हमलों में सबसे बड़ा और सबसे घातक हमला था। इसी आतंकी हमले के 6 साल पूरे होने पर आइए शहीद हुए कुछ जवानों की मार्मिक कहानियां पढ़ते हैं…

1. पंकज त्रिपाठी

Pulwama Attack:पुलवामा हमले में CRPF की 53वीं बटालियन के कांस्टेबल पंकज त्रिपाठी शहीद हुए थे। पंकज उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के गांव हरपुर के रहने वाले थे। इनका जिक्र इसलिए हो रहा है, क्योंकि आतंकी हमले से कुछ घंटे पहले ही इनकी अपनी पत्नी से आखिरी बात हुई थी, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि इसके बाद वे पत्नी की आवाज नहीं सुन पाएंगे। जब पंकज की शहादत की खबर घर पहुंची थी तो इनकी पत्नी बेहोश हो गई थी। उन्होंने बताया था कि पंकज ने उनसे करीब एक घंटा बात की थी, क्योंकि वैलेंटाइन डे था, लेकिन शाम को उनके तोहफे के बारे में बताने के लिए कॉल किया तो फोन मिला नहीं। देररात पंकज की शहादत की खबर आ गई।

2. कौशल कुमार रावत

पुलवामा हमले में CRPF की 115वीं बटालियन के कांस्टेबल कौशल कुमार रावत शहीद हुए थे। कौशल उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के गांव केहराई के रहने वाले थे। कौशल कुमार पुलवामा से पहले सिलीगुड़ी में तैनात थे, लेकिन उनकी पोस्टिंग पुलवामा में हो गई थी और वे नई ड्यूटी जॉइन करने के लिए पुलवामा आ रहे थे, लेकिन वे नई पोस्टिंग पर जॉइन नहीं कर पाए। आतंकी हमले से एक दिन पहले ही उनकी पूरे परिवार से बात हुई थी और उन्होंने परिवार को नई जगह पोस्टिंग होने के बारे में भी बताया था और कहा था कि उन्हें कल ही पुलवामा में रिपोर्ट करना है, लेकिन न कौशल को और न ही परिवार को अंदाजा था कि यह उनकी आखिरी बातचीत होगी।

3. महेश कुमार

Pulwama Attack:पुलवामा हमले में CRPF की 118वीं बटालियन के कांस्टेबल महेश कुमार शहीद हुए थे। वे उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के गांव मेजा के रहने वाले थे। महेश कुमार आतंकी हमले से कुछ दिन पहले ही छुट्टी काटकर घर से ड्यूटी पर लौटे थे, लेकिन परिवार में तब कोहराम मच गया, जब उन्हें फिर से बेटे के घर आने की खबर मिली और वह भी लाश बनकर। महेश के तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर को लेकर जब सेना के अधिकारी गांव पहुंचे तो चीख पुकार मच गई। महेश की शादी संजू से साल 2011 में हुई थी। उनके 2 बच्चे हैं, जिनमें बड़ा बेटा 7 साल का है और उसका नाम समर है। दूसरा 6 साल का समीर है, जिन्होंने अपने पिता को मुखाग्नि दी थी।

4. सुखजिंदर सिंह

पुलवामा हमले में CRPF की 76वीं बटालियन के कांस्टेबल सुखजिंदर सिंह शहीद हो गए थे। वे पंजाब के तरनतारन जिले के पट्टी शहर के गांव गंगीविंड के रहने वाले थे। सुखजिंदर सिंह आतंकी हमले से 7 महीने पहले ही पुलवामा आए थे। उनकी बदली हुई थी, क्योंकि उन्हें पदोन्नति मिली थी। नौकरी में तरक्की के बाद उनके घर में बेटे गुरजोत सिंह का जन्म भी हुआ था, इसलिए खुशी दोगुनी थी। सुखजिंदर ने बेटे को देखा नहीं था, लेकिन वे उसके पहले जन्मदिन पर घर जाने की प्लानिंग कर रहे थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि वे अपने बेटे को कभी देख ही नहीं पाएंगे। बेटे के पहले जन्मदिन से पहले ही वह उसे छोड़कर दुनिया से चले गए।

5. वसंता कुमार वीवी

पुलवामा हमले में CRPF की 82वीं बटालियन के कांस्टेबल वसंता कुमार वीवी शहीद हो गए थे। वे केरल के वायनाड जिले के गांव कुन्नाथीडावाका लक्कीडी के रहने वाले थे। संता की शहादत से उनकी मां को सबसे ज्यादा सदमा लगा था, क्योंकि जिस दिन संता पर आतंकी हमला हुआ था, उसी दिन बस में बैठने ने पहले उन्होंने मां से फोन पर बात की थी। वसंता ने उन्हें बताया था कि वह नई पोस्टिंग जॉइन करने पुलवामा जा रहा है और श्रीनगर पहुंचकर जॉइनिंग करने के बाद दोबारा फोन करेगा, लेकिन जब देररात भी बेटे का फोन नहीं आया तो मां ने उसके दफ्तर फोन मिलाा, जहां से उसे वसंता के शहीद होने की खबर मिली और वह बेहोश हो गई।

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