रांची। आफिस आफ प्रोफिट मामले में राजभवन की चुप्पी आज टूट सकती है। शनिवार और रविवार की छुट्टी की वजह से राजभवन से कोई सूचना ना तो सीएम सचिवालय तक पहुंची और ना ही चुनाव आयोग को भेजी जा सकी थी, लिहाजा आज इस पर राजभवन का एक्शन दिख सकती है। रविवार को महागठबंथन के विधायकों ने राजभवन की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए तत्काल फैसला सार्वजनिक करने की मांग की थी। आपको याद होगा कि गुरूवार से ही झारखंड की सियासत में सस्पेंस दिख रहा है। गुरुवार को चुनाव आयोग ने राजभवन को अपनी अनुशंसा भेज दी थी।

राज्यपाल प्रदेश से बाहर थे, लिहाजा उनके आने के बाद उन्होंने विधि विशेषज्ञों से इस पर सलाह ली, लेकिन इसी बीच शनिवार और रविवार को दो दिनों की छुट्टी हो गयी, जिसकी वजह से राजभवन की तरफ से कोई सूचना जारी नहीं हो सकी, लेकिन आज पूरी संभावना है की राजभवन की तरफ से इस मामले में सूचना या तो सीएम सचिवालय या फिर चुनाव आयोग को भेज दी जायेगी।

इन सब के बीच रविवार को  ने कहा कि राज्यपाल को सबकुछ साफ करना चाहिए कि बंद लिफाफे में क्या है ,क्योंकि वर्तमान राजनीतिक स्थिति से विकास बाधित हो रहा है. वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी ने कहा कि गवर्नर को जल्दी से जल्दी ,निर्वाचन आयोग की अनुशंसा को सार्वजनिक करना चाहिए. अम्बा प्रसाद एवं अन्य विधायकों ने कहा कि राज्य में सभी UPA विधायक एकजुट हैं और सरकार को कोई खतरा नहीं है.

आपको बता दें कि तीन दिन पहले चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैंस को एक याचिका पर अपनी राय भेजी है. बीजेपी की ओर से दायर इस याचिका में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खुद को एक खनन पट्टा जारी करके चुनावी कानून का उल्लंघन करने के लिए एक विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है. झारखंड के राज्यपाल ने इस मामले को चुनाव आयोग के पास भेजा था. चुनाव आयोग ने बंद लिफाफे में अपनी राय राज्यपाल को भेजी है.

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