रांची। हड़ताल पर चल रहे अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों को फैसले के लिए अभी इंतजार करना होगा। हालांकि गुरुवार की दोपहर से अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों के मुद्दे पर जिस तरह के आसार बंधे थे, उसके बाद उम्मीद यही लग रही थी, कि देर शाम तक अनुबंधित स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल को लेकर राज्य सरकार कोई बड़ा निर्णय ले सकती है।

हालांकि, पहले दौर की वार्ता का कोई नतीजा तो नहीं निकला, लेकिन इस बात की उम्मीद है जरूर बढ़ गई है कि आने वाले दिनों में स्वास्थ्यकर्मियों के संदर्भ में राज्य सरकार कोई बड़ा निर्णय ले सकती है। आज पहले दौर की वार्ता NRHM के एमडी भुनेश्वर प्रताप सिंह की मौजूदगी में हुई । हड़ताली स्वास्थ्य कर्मियों का प्रतिनिधिमंडल अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर NRHM एमडी के बुलावे पर उनके पास पहुंचा था।

हड़ताली स्वास्थ्य कर्मियों की बातों को सुनने के बाद MD ने नियमितीकरण के प्रारूप के संदर्भ में जानकारी ली। स्वास्थ्य कर्मियों ने अपने स्तर से तैयार प्रारूप की कॉपी एनआरएचएम के MD के सामने रखी। लेकिन उस प्रारूप में तथ्यात्मकता का अभाव नजर आया।
जिसके बाद इसे नए सिरे से तैयार करने का निर्देश दिया गया है।

पहले यह कहा जा रहा था कि अगर NRHM के एमडी के साथ हुई वार्ता सफल रही तो फिर दूसरे दौर की वार्ता स्वास्थ्य विभाग के ACS अरुण कुमार सिंह के साथ हो सकती है। लेकिन पहले ही दौर की वार्ता में प्रारूप का पेंच फंस गया। जिसके बाद वार्ता आगे नहीं बढ़ सकी। माना जा रहा है कि वार्ता का दूसरा दौर तभी शुरू होगा, जब स्वास्थ्यकर्मियों के नियमितीकरण की दिशा में तैयार होने वाले प्रारूप पर सहमति बन जाएगी। हालांकि यह भी उतना आसान नहीं है,स्वीकृत पद की तुलना में अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या काफी ज्यादा है। ऐसे में इनका समायोजन किस तरह से किया जाएगा, इस संदर्भ में राज्य सरकार को नए सिरे से सर्जरी करनी पड़ेगी।

2014 के तर्ज पर नियमितीकरण है मांग

स्वास्थ्य विभाग में 2014 में अनुबंध पर कार्यरत चिकित्साकर्मी को नियमित किया गया था।अनुबंध कर्मियों की मांग है की उन्हीं के तर्ज पर हमें भी नियमित किया जाय। अनुबंध पर कार्यरत कर्मियों की तुलना में रिक्तियां कम रहने के कारण इसका समाधान निकालने की दिशा में ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन (AJPMA) के राज्य कमिटी की भी बुलाया जा सकता है। इस संबंध में विभाग लगातार AJPMA के संपर्क में है।

जीएनएम, एएनएम, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, फिजियोथेरेपिस्ट, ऑपथेल्मिक असिस्टेंट जैसे पदों को लेकर नए सिरे से विभाग को मंथन करना होगा। स्वीकृत पदों के आधार पर स्वास्थ्य कर्मियों को किस तरह से नियमितीकरण का लाभ दिया जा सकता है, इसे लेकर विभाग को पूरा प्रारूप तैयार करना होगा।

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