नई दिल्ली। NPS की राशि देने में केंद्र सरकार की आनाकानी के बीच पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा मझधार में फंसता दिख रहा है। इन सब के बीच आरबीआई की चेतावनी ने मुश्किलें और भी बढ़ा दी है। झारखंड का करीब 17000 करोड़ से ज्यादा एनपीएस का बकाया केंद्र देने को तैयार नहीं है। ऐसे में आरबीआई की चेतावनी और एनपीएस की राशि पर केंद्र का अड़ियल रुख कही OPS पर ग्रहण तो नहीं लगा देगा। कर्मचारियों के मन में यह आशंका बढ़ गई है। झारखंड में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा हो चुकी है और OPS को अमल में लाने की कवायद हेमंत सोरेन सरकार ने शुरू कर दी है।
ओल्ड पेंशन योजना को झारखंड सहित अन्य राज्यों ने भी अपने यहां लागू किया है। राजनीतिक गलियारों में तो इसकी चर्चा है ही। वहीं इसने अर्थशास्त्रियों के माथे पर शिकन की लकीरें भी छोड़ी हैं। अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी इसे लेकर राज्यों को चेतावनी दी है।
आरबीआई ने ‘राज्य वित्तः 2022-23 के बजट का अध्ययन’ शीर्षक से अपनी रिपोर्ट में यह बात ऐसे समय कही है जब हाल ही में हिमाचल प्रदेश ने महंगाई भत्ते से जुड़ी पुरानी पेंशन योजना (OPS) फिर सलागू करने की घोषणा की है। इससे पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड ने केंद्र सरकार तथा पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को ओपीएस बहाल करने के अपने निर्णय के बारे में जानकारी दी थी।
पंजाब सरकार ने भी राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिये ओपीएस लागू करने के संदर्भ में 18 नवंबर, 2022 को अधिसूचना जारी की थी। ये कर्मचारी अभी नई पेंशन प्रणाली (एनपीएस) से जुड़े हैं।
नई पेंशन प्रणाली में क्या है?
एक जनवरी, 2004 से लागू नई पेंशन प्रणाली (एनपीएस) अंशदान आधारित पेंशन योजना है। इसमें कर्मचारी के साथ-साथ सरकार भी अंशदान देती है। वहीं पुरानी पेंशन व्यवस्था में कर्मचारियों की पेंशन सेवानिवृत्ति से पहले लिये गये अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत होती है और यह पूरी राशि सरकार की तरफ से दी जाती थी। आरबीआई रिपोर्ट के अनुसार, “कुछ राज्य पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की बात कर रहे हैं। इससे राज्यों के स्तर पर राजकोष के परिदृश्य को लेकर एक बड़ा जोखिम मंडरा रहा है…।” इसके अनुसार, वर्तमान खर्ची को भविष्य के लिये स्थगित करके राज्य आने वाले वर्षों में पेंशन मद में ऐसी देनदारी पैदा करेंगे, जिसके लिये वित्त की व्यवस्था नहीं है।