धनबाद। “अस्पताल में सार्वजनिक मूत्रालय”….ये शब्द आपके लिए पढ़ने में जितना शर्मनाक है, हमारे लिए लिखने में उससे कहीं ज्यादा शर्मनाक है। यूं तो अस्पताल के बाहर हमने-आपने यही श्लोगन लिखा-छपा देखा होगा, कि अस्पताल परिसर को स्वच्छ बनाईये ! …कई दफा अस्पताल परिसर में गंदगी और बदबू पर आपने अधिकारियों को नाराज होते और कई-कई दफा तो सस्पेंड होते भी सुना होगा… लेकिन धनबाद जिले का गोबिंदपुर स्वास्थ्य केंद्र देश का इकलौता ऐसा स्वास्थ्य केंद्र होगा, जहां सरकार सार्वजनिक शौचालय बनवा रही है।

कमाल की बात ये है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि ने अस्पताल में शौचालय बनाने की अनुशंसा की और प्रशासन ने फंड स्वीकृत भी कर दिया, अब भूमिपूजन के बाद अस्तपाल में सार्वजनिक मूत्रालय बनाने का काम भी शुरू हो गया। गोबिंदपुर का सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र बीच बाजार में हैं, सार्वजनिक शौचालय बनने से पूरे बाजार के लोग इसी परिसर में शौच और नित दिनचर्या के लिए आयेंगे, ऐसे में सोचा जा सकता है कि अस्पताल परिसर का क्या हाल होगा।

विभाग के बिना किसी अनुमति के शौचालय का किया शिलान्यास

गंदगी के मामले में गोबिंदपुर स्वास्थ्य केंद्र शुरू से ही शापित रहा है। अस्पताल परिसर में घुसते ही अस्थायी मूत्रालय यहां वर्षों से बना हुआ था, जिससे गंदगी बहकर रास्ते में आता था, मरीज और उनके परिजन उसी गदंगी से होकर आने-जाने को मजबूर थे।

स्वास्थ्यकर्मी और मरीज को मूत्रालय की जिल्लत तो झेल ही रहे थे, लेकिन अस्पताल में इतनी गंदगी से नेता-प्रशासन का मन नहीं भरा तो अब पूरा का पूरा सार्वजनिक शौचालय ही गोबिंदपुर के स्वास्थ्य केंद्र में बनवा दिया। ये जानते हुए भी की मौजूदा वक्त में जब एक से बढ़कर एक वायरस का प्रकोप हो रहा है। अस्पताल को स्वच्छ रखने की अपील हो रही है। ऐसे में अस्पताल परिसर में ही शौचालच का निर्माण करवाना बड़े सवाल को जन्म दे रहा है।

इस मामले में जब हमने गोबिंदपुर स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों से बात की, तो उन्होंने गोबिंदपुर स्वास्थ्य केंद्र से किसी भी तरह की NOC नहीं देने की बात कही। हद तो ये था कि अधिकारियों को इस मामले में पूछा तक नहीं गया। एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि किसी अस्पताल में सार्वजनिक शौचालय बनाने की कैसे इजाजत दी जा सकती है। अगर अस्पताल में शौचालय का निर्माण किया गया, तो संक्रमण का खतरा तो रहेगा, मरीजों के लिए भी ये काफी नुकसानदायक होगा।

सिविल सर्जन ने कहा- मैंने अनुमति नहीं दी, शौचालय नहीं बनाने की अपील की

इस मामले में जब हमने धनबाद के सिविल सर्जन डा आलोक विश्वकर्मा से बात की, तो उन्होंने साफ कहा कि सार्वजनिक शौचालय बनाने की अनुमति नहीं दी गयी है। सिविल सर्जन ने कहा कि अस्पताल में सार्वजनिक शौचालय बनवाना किसी भी सूरत में उचित नहीं है। हालांकि उन्होंने इस बात को जरूर स्वीकार किया कि उनके पास कुछ लोग शौचालय बनवाने के प्रस्ताव पर आये थे, लेकिन उन्होंने साफ इंकार कर दिया था और विभाग से प्रक्रिया अनुरूप अनुमति लेने को कहा था।

सिविल सर्जन ने कहा कि, शौचालय बनवा रहे जनप्रतिनिधियों से भी अनुरोध करूंगा, कि वो अस्पताल में स्वच्छता का ख्याल रखें…ये उनका ही अस्पताल है, उनके ही क्षेत्र के मरीज वहां इलाज के लिए आते हैं, ऐसे में अस्पताल की स्वच्छता का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। अगर अस्पताल स्वच्छ रहेगा, तो उनके ही क्षेत्र के मरीजों को लाभ मिलेगा। सिविल सर्जन ने कहा कि स्वास्थ्यगत वजहों से भी अस्पताल परिसर में शौचालय बनाना उचित नहीं है।

ट्रामा सेंटर के लिए हुआ था चिन्हित, वहां बनवा रहे शौचालय


गोबिंदपुर से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सार्वजनिक शौचालय जिस जगह पर बन रहा है, कुछ साल पहले वही जगह ट्रामा सेंटर के लिए भी चिन्हित हुआ था। लेकिन, विडंबना देखिये, जिस जगह पर अस्पताल की बिल्डिंगें होनी थी, उस स्थान पर अब शौचालय बनाया जा रहा है।

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