बेटी के नाम से बनने वाली सड़क में मां बाप कर रहे मजदूरी, जानें क्या है कहानी

रांची । झारखंड के गुमला की एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं जो फक्र से सिर ऊंचा कर देगा। झारखंड में जहां बीते दिनों बेटियों के साथ वारदात हुई उसके पश्चाताप के साथ मां बाप और बिटिया के रिश्ते को नहीं पहचान देने की प्रेरणा भी देगी। यह कहानी है भारत की महिला फुटबॉल खिलाड़ी अष्टम उरांव की। जो भारत में आयोजित हो रहे FIFA U – 17 womems World Cup – 2022 में भारतीय टीम की कप्तानी कर रही है। अष्टम के संघर्ष और कठिनाइयों के भरे सफर को समझने के लिए उसके मां-बाप की कहानी जानना काफी है।

फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप 2022 का आज से भारत में आगाज हो रहा है। भारतीय अंडर 17 महिला फुटबॉल की टीम की कप्तानी गुमला की बिशनपुर प्रखंड की अष्टम उरांव कर रही है। पिछड़े गांव से चलकर भारत के कप्तान बनने की अष्टम की कहानी प्रेरणादाई हैं तो सोचने के लिए मजबूर भी करने वाली कि हम अपने देश में गरीबी, अभाव को खत्म कर पाने में नाकाम रहे हैं। अष्टम उरांव की गरीबी का हाल समझने के लिए उसकी मां तारा और पिता हीरालाल उरांव की गरीबी के हाल समझना काफी है, जो 250 रुपए दिहाड़ी के लिए बेटी के नाम से बनने वाली सड़क में मजदूरी कर रहे हैं।

मैच देखने के लिए प्रशासन ने कराई टीवी की व्यवस्था

भारत की कप्तान अष्टम के पिता भी खिलाड़ी रहे हैं। लेकिन उनके सपनों ने गरीबी के आगे दम तोड़ दिया। लेकिन उन्होंने हौसला नहीं छोड़ा। हीरालाल की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि उनके बिजली कनेक्शन तक नहीं है। लेकिन पिता बेटी का मैच देख सके इसके लिए गुमला प्रशासन ने उनके घर में टीवी और इनवर्टर लगाया है।

बेटी के नाम से बन रही सड़क में मां-बाप कर रहे मजदूरी

भारतीय अंडर 17 महिला फुटबॉल टीम की कप्तान अष्टम का गांव काफी पिछड़ा है। अष्टम की घर की सड़कें तक ठीक नहीं है। अष्टम की उपलब्धियों को देखते हुए प्रशासन अष्टम के घर तक उन्हीं के नाम सड़क बनवा रही है। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब है, इसलिए अष्टम की पिता हीरालाल उरांव और मां तारा बेटी अष्टम उरांव के नाम पर सड़क के काम में मजदूरी कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब उनकी बेटी नौकरी पा जाएगी तो वह काम छोड़ देंगे। मंगलवार रात 8:00 बजे गुमला की बेटी को अगुवाई में टीम पिछले संस्करण की उपविजेता अमेरिका को चुनौती देगी। लेकिन गरीबी के कारण अष्टम के पिता हीरा उराव ने कहा कि मजदूरी नहीं करेंगे तो परिवार का पेट भला कैसे भरेगा।

पानीपत और बोथा साग खिला कर बड़ा किया

गरीब मां तारा का कहना है कि उनकी बेटी भारत के कप्तान बन गई है ,यह खुशी की बात है। लेकिन अफसोस भी है कि वह अपनी गरीबी के कारण अपनी बेटी को अच्छा भोजन ना करा सकी। वह बताती है कि पानी भात और बोथा साग खिला कर ही अपनी बिटिया को बड़ा की है।

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