रांची। झारखंड सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए OPS लागू कर दिया है। केंद्र सरकार से गतिरोध के बावजूद हेमंत सरकार ओपीएस को लेकर अपने फैसले पर अडिग है। झारखंड ने बेशक राजस्थान, छत्तीसगढ़ के बाद ओपीएस को लागू किया है, लेकिन कई मायनों में झारखंड की नीति सबसे बेहतर कही जा रही है। पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को 1 अप्रैल 2004 में बंद कर दिया गया था. केंद्र सरकार ने साल 2004 में पुरानी पेशन योजना को खत्म करके उसके बदले राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension System) शुरु किया था. इन सबके बीच एक चर्चा ये भी चलती है कि पुरानी पेंशन योजना और नयी पेंशन योजना में बेहतर कौन है।

देश में जैसे ही चुनाव का समय आता है, यह मुद्दा जोर पकड़ लेता है. जब से नई पेंशन स्कीम यानी एनपीएस (NPS) लागू की गई है, तब से इसका विरोध हो रहा है. आज भी इसको वापस लेने की मांग काफी जोरों से हो रही है। कई राज्य सरकारें पुरानी पेंशन योजना लागू करने का दावा कर रही हैं. जबकि एनपीएस (NPS) को लेकर अधिकतर लोगों का कहना है कि यह सरकारी कर्मचारियों के हित में नहीं है. इतना ही नहीं, कई राज्यों के केंद्रीय कर्मचारी खुद यह मानते हैं कि इस योजना में उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है।

पुरानी पेंशन योजना


पुरानी पेंशन योजना यानी ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के तहत सरकार साल 2004 से पहले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन देती थी. यह पेंशन कर्मचारी के रिटायरमेंट के समय उनके वेतन पर आधारित होती थी. इस स्कीम में रिटायर हुए कर्मचारी की मौत के बाद उनके परिजनों को भी पेंशन दी जाती थी. हालांकि, इस स्कीम को 1 अप्रैल 2004 में बंद करके इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme) से बदल दिया गया है।


• इस स्कीम के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय उनके वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।
• पुरानी पेंशन स्कीम में अगर रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी की मृत्यु हो जाए तो उनके परिजनों को पेंशन की राशि दी जाती है.
• इस स्कीम में पेंशन देने के लिए कर्मचारियों के वेतन से किसी भी तरह की कटौती नहीं होती है।
• पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों की अंतिम बेसिक सैलरी का 50 फीसदी यानी आधी राशि तक पेंशन के रूप में दिया जाता है।
• इस स्कीआम के जरिये रिटायरमेंट के बाद मेडिकल भत्ताब और मेडिकल बिलों की रिम्बर्समेंट की सुविधा भी दी जाती है.
• इस स्कीम में रिटायर्ड हुए कर्मचारी को 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम दी जाती है।

नई पेंशन योजना (NPS


न्यू पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारी पेंशन (Pension) पाने के लिए अपनी बेसिक सैलरी (Basic Salary) + डीए (Dearness Allowance (DA) में से 10 प्रतिशत और उनके नियोक्ता 14 प्रतिशत तक योगदान देते हैं. इसे आसान में समझा जाए तो रिटायरमेंट के बाद पेंशन के लिए कर्मचारियों को कार्यकाल के दौरान अपनी बेसिक सैलरी का 10 प्रतिशत निवेश करना होता है.
• यह योजना भारतीय शेयर बाजार पर आधारित होती है. इसलिए कर्मचारियों को भुगतान भी बाजार की चाल को देखते हुए किया जाता है.
• चूंकि यह योजना शेयर बाजार पर आधारित है. यही वजह है कि इसे भविष्य के लिए पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जाता है.
• एनपीएस (NPS) के तहत सरकार की तरफ से रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को निश्चित पेंशन देने की कोई गारंटी नहीं दी गई है.
• नई पेंशन योजना (NPS) के जरिये रिटायरमेंट के बाद पेंशन पाने के लिए कर्मचारियों को एनपीएस फंड (NPS Fund) में 40 प्रतिशत निवेश करना पड़ता है.
• इसमें रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले पैसे पर भी कर्मचारियों को टैक्स देना पड़ता है.
• इस योजना में हर 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता नहीं दिया जाता है.
• निजी क्षेत्र के कर्मचारी भी इस योजना में निवेश करके रिटायरमेंट के बाद पेंशन पा सकते हैं. हालांकि, इसके लिए NPS नियमों में कुछ बदलाव किया गया है.

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