रांची : भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की विधायकी बचेगी या समाप्त हो जाएगी? आखिर वह कितने दिनों के मेहमान हैं? दल बदल के आरोप में झारखंड विधानसभा स्पीकर रविंद्र नाथ महतो ने जो फैसला सुरक्षित रख लिया है, वह कब सार्वजनिक होगा? यह तमाम सवाल सवाल इस समय झारखंड की सियासत में चर्चा का विषय है। बाबूलाल मरांडी को इस बात का अहसास हो गया है कि उनकी विधायकी और जाने वाली है। यही वजह है कि वह लगातार विधानसभा स्पीकर पर आरोप मढ़ रहे हैं कि उन्होंने उनकी बात नहीं सुनी। उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जा रही है। बाबूलाल मरांडी ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए अंतिम दाव खेला है। झारखंड हाई कोर्ट में याचिका भी दाखिल की है।

कैसे हुई विधायक दीपिका पांडे सिंह की केस में एंट्री

इस याचिका पर मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई की बाबूलाल मरांडी की ओर से दलील पेश की गई। उनकी याचिका सुनवाई योग्य है लेकिन जैसे ही या पता चला कि कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे ने बाबूलाल मरांडी पर दलबदल करने का आरोप लगाया है, अदालत ने तुरंत फरमान जारी कर दिया कि दीपिका पांडे की दलील भी सुनी जानी चाहिए। यही वजह है कि अदालत ने तुरंत विधायक दीपिका पांडे को प्रतिवादी बनाने के लिए एक नोटिस जारी करने का आदेश दे दिया। अदालत इस मामले में दीपिका पांडे की राय भी सुनना चाहेगी। इसके बाद ही अदालत में बात आगे बढ़ेगी।

9 नवंबर को अदालत करेगी इस मामले की सुनवाई

दल-बदल का यह मामला झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में है। अगले महीने की 9 तारीख को इस मामले की सुनवाई होने वाली है। संभव है, इस दिन कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह की ओर से अपना पक्ष रखा जाए। बाबूलाल मरांडी के इस केस की पैरवी झारखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील वीपी सिंह और विनोद साहू कर रहे हैं। शिकायतकर्ता विधायक दीपिका पांडेय सिंह की इस केस में एंट्री होने से यह मामला और रोचक होने की संभावना है। यानी झारखंड की सियासत और परवान चढ़ेगी।

विधानसभा स्पीकर पर बाबूलाल मरांडी का आरोप

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने अदालत में लिखित बहस दाखिल किया है। इसके मुताबिक उनका आरोप है कि विधानसभा स्पीकर न्यायाधिकरण ने पूरी प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। इसके बिना ही स्पीकर ने सुनवाई पूर्ण कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। उन्होंने गवाहों की जो सूची उपलब्ध कराई थी, उस पर कोई विचार नहीं किया गया। गवाहों को सुने बिना ही सुनवाई पूर्ण कर स्पीकर ने फैसला सुरक्षित रख लिया। बाबूलाल मरांडी का कहना है कि जबतक झारखंड हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है, स्पीकर की कार्यवाही पर रोक लगा देनी चाहिए।

मामले में स्पीकर न्यायाधीकरण का क्या कहना है

स्पीकर न्यायाधीकरण का कहना है कि मामले में अभी फैसला सुरक्षित रखा है। यह फैसला बाबूलाल मरांडी के पक्ष में भी आ सकता है। ऐसे में उन्हें क्यों लग रहा कि फैसला उनके खिलाफ ही आएगा। जबतक स्पीकर की ओर से कोई फैसला नहीं सुनाया जाता, तबतक अदालत में इस तरह याचिका दाखिल करना गलत है। इसलिए बाबूलाल मरांडी की याचिका पर सुनवाई करने का कोई औचित्य नहीं है

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