रांची। बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी शिक्षक भर्ती पर विरोध के सुर उठने लगे हैं। नियुक्ति नियमावली के कई बिंदुओं का झारखंड में विरोध शुरू हो गया है। अभ्यर्थियों ने चेतावनी भी दी है कि अगर नियुक्ति नियमावली में सुधार नहीं किया गया, तो आंदोलन किया जायेगा। सबसे ज्यादा विरोध टेट पास पारा शिक्षकों का है, जिन्हें भी सामान्य अभ्यर्थियों की तरह परीक्षा देनी होगी। वहीं सीटेट को अनुमति नहीं दिये जाने, ऊर्दू शिक्षकों के लिए पद का निर्धारण जैसे बिंदुओं पर आक्रोश गहराने लगा है।

दरअसल झारखंड में शिक्षक भर्ती को लेकर 26 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है। लेकिन बढ़ते आक्रोश और विरोध के उठते स्वर के बीच नियुक्ति पर संकट गहराने लगा है। बिहार के समय से यह प्रावधान था कि जब कभी भी शिक्षकों की नियुक्ति निकलती थी तो उसमें उर्दू शिक्षकों के लिए भी प्रावधान किया जाता था, मगर इस बार जो बहाली निकाली गई है इसमें कोई रिक्ति नहीं दिखायी दे रही है। लिहाजा ऊर्दू अभ्यर्थी असमंजस में हैं। 2016 और उससे पहले टेट परीक्षा में जिन अभ्यर्थियों ने उर्दू एवं अन्य भाषा विषयों से परीक्षा पास करने वालों को लेकर विज्ञापन में स्पष्टता नहीं है। अभ्यर्थियों का मानना है कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा जारी विज्ञापन में उर्दू सहित विभिन्न विषयों के लिए सहायक आचार्य के पद ही निर्धारित नहीं होना उनके लिए धोखा है।

टेट पास पारा शिक्षकों के लिए भी भर्ती परीक्षा में ज्यादा रियायत नहीं दिया गया है। टेट पास पारा शिक्षक भी अब इस आंदोलन को लेकर लामबंद हो गये हैं। पारा शिक्षकों का कहना है कि, कहां उन्हें वेतनमान देने का वादा था, लेकिन सरकार इसके उलट उन्हें परीक्षा के लिए बाध्य कर रही है। संघ इस मामले में कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।

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