हजारीबाग : जिले के माहेश्वरी परिवार के छह लोगों की मौत के मामले में सीबीआई की जांच का आग्रह करनेवाली राजेश माहेश्वरी की याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई की गयी। कोर्ट ने प्रार्थी की ओर से दायर क्रिमिनल रिट याचिका को मंजूर कर लिया। महेश्वरी परिवार ने आत्महत्या की थी या परिवार के सदस्यों की हत्या की गयी थी, इसकी गुत्थी अब सीबीआई सुलझायेगी, झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच का आदेश दिया है.

बता दें कि मृतक के परिजन राजेश महेश्वरी ने याचिका दाखिल कर सीआईडी जांच पर सवाल उठाया था और सीबीआई जांच की मांग की थी. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता हेमंत शिकरवार ने बहस की।

क्या है मामला

दरअसल, 14 जुलाई 2018 को हजारीबाग के खजांची तालाब के पास शुभम अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 303 से महेश्वरी परिवार के छह सदस्यों का शव बरामद हुआ था. इसकी जांच सीआईडी ने की थी. सीआईडी ने मई 2023 में दायर चार्जशीट में इस बात का जिक्र किया था कि ड्राइ फ्रूट व्यवसायी नरेश महेश्वरी ने ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी थी. घटना के दिन घर के मुखिया महावीर अग्रवाल का शव बेडरूप में पंखे से लटका मिला था. उनके पुत्र नरेश अग्रवाल का शव अपार्टमेंट का नीचे मिला था. नरेश की मां किरण अग्रवाल का गला कटा शव बिस्तर पर पड़ा मिला था. नरेश की पत्नी प्रीति अग्रवाल और पुत्र अमन का शव पंखे से झूलता बरामद हुआ था. जबकि नरेश की बेटी आन्ची का गला कटा शव सोफा पर पड़ा मिला था.

यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया था. काफी हंगामा होने के बाद तत्कालीन रघुवर सरकार ने सीआईडी को जांच का जिम्मा सौंपा था. सीआईडी का दावा था कि महेश्वरी परिवार कर्ज के बोझ में दबा था. इसी वजह से इस घटना को अंजाम दिया गया. तब सीआईडी ने सीन को रिक्रिएट किया था. इस जांच का नेतृत्व डीएसपी तौकीर आलम के नेतृत्व में हुआ था.

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