मदुरै: IAS प्रदीप यादव सहित दो अन्य अफसरों को हाईकोर्ट ने दो सप्ताह की जेल और 1 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। अदालत के आदेश की नाफरमानी को लेकर ये कार्रवाई की गयी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव पद पर रहते हुए अधिकारी अदालत के आदेश को लागू करने में विफल रहे। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि अधिकारियों ने जानबूझकर कोर्ट के आदेश की अवहेलना की। जिसके बाद अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 के प्रावधानों के तहत सजा सुनायी गयी।

दरअसल ज्ञान प्रगासम नामक व्यक्ति ने आईएएस अधिकारी, शिक्षक शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण शिक्षा निदेशक, जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य और अधिकारी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। अदालत के पहले के आदेश का पालन करने में अधिकारी विफल रहे थे। जिसमें अदालत ने आदेश दिया था कि प्रगासम की सेवा को समान पद वाले व्यक्तियों के समान 01.04.1979 से नियमित किया जाए और उचित आदेश पारित करके आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से आठ सप्ताह की अवधि में आर्थिक लाभ दिया जाये।

याचिकाकर्ता प्रगासम ने अवमानना याचिका दायकर कहा कि विभाग ने उनकी सेवा तो 19 मार्च, 2021 को नियमित कर दी, लेकिन अदालत के निर्देश के मुताबिक आर्थिक लाभ नहीं दिया। जो कोर्ट के आदेश की अवमानना है। वहीं दूसरी ओर अधिकारियों की तरफ से जवाब प्रस्तुत किया गया कि सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ एक रिट दायर की गई थी और जब उसे खारिज कर दिया गया तो उसके तुरंत बाद, याचिकाकर्ता प्रगासम की सेवाओं को नियमित कर दिया गया और 30.06 से समान स्थिति वाले व्यक्तियों के बराबर मौद्रिक लाभ का निपटान किया गया। 2006 और इस प्रकार कोई जानबूझकर अवज्ञा नहीं है।

अदालत ने कहा कि वैधानिक नोटिस जारी होने के बाद अधिकारी पेश हुए और आदेश का पूरी तरह से पालन करने के लिए समय मांगा और उसके बाद उन्होंने 27.01.2000 से 29.06.2006 तक आर्थिक लाभ बढ़ाने के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया और प्राचार्य, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान ने प्रमाण पत्र भी पेश किया, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता के खाते में 28.07.2023 को सरकारी आदेश के अनुसार 1,38,486/- रुपये की राशि जमा की गई है।

अदालत ने इस प्रकार कहा कि भले ही रिट अपील 5 अगस्त, 2019 को खारिज कर दी गई थी, सेवा केवल 19 मार्च, 2021 को नियमित की गई थी और मौद्रिक लाभों के निपटान में और भी असामान्य देरी हुई। अदालत ने उस दलील को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि उन्हें फरवरी 2020 को दूसरे विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया था और कहा कि आदेश 2012 में किया गया था और रिट अपील 2019 में खारिज कर दी गई थी। इस प्रकार, अदालत ने कहा कि बर्खास्तगी के समय अपील में, अधिकारी स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के पद पर था और इस प्रकार, आदेश को लागू करना उसकी जिम्मेदारी थी, जिससे वह बच नहीं सकता था। कोर्ट ने तमाम दलीलों को सुनने के बाद IAS प्रदीप यादव सहित दो अन्य अफसरों को हाईकोर्ट ने दो सप्ताह की जेल और 1 हजार रुपये जुर्माना लगाया है।

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