पटना। छुट्टी से लौटते ही केके पाठक फिर से एक्शन में आ गये हैं। स्कूलों में ठंड की वजह से छुट्टी का जो आदेश प्रशासन ने दिया था, उसे रद्द कर दिया गया है। पटना सहित कई जिलों में दी गयी छुट्टी रद्द कर दी गयी है। बिहार के कई जिलों में मौजूदा ठंड के मौसम की स्थिति को देखते हुए कुछ जिलाधिकारियों ने आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए स्कूलों (सरकारी और निजी) को बंद करने का आदेश दिया था। पटना में भी रविवार (21 जनवरी) को पटना जिलाधिकारी ने आदेश जारी करते हुए कहा कि 23 जनवरी तक नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक के सरकारी और निजी विद्यालय बंद रहेंगे। वहीं क्लास 9वीं से ऊपर तक की कक्षाएं चलती रहेंगी। 9वीं कक्षा से ऊपर तक के छात्रों की क्लास सुबह 9 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक ही चलेंगीं।

आपको बता दें कि बिहार की राजधानी पटना में बढ़ती ठंड को देखते हुए पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने नर्सरी से कक्षा 8वीं तक के स्कूलों को बंद करने का निर्देश जारी किया है। लेकिन बिहार के शिक्षा विभाग ने सभी जिलाधिकारियों से उस आदेश को वापस लेने को कहा है जिसमें उन्होंने स्कूलों में शीत लहर के मद्देनजर निचली कक्षाओं को निलंबित करने का निर्देश दिया है। शिक्षा विभाग के प्रभारी अपर मुख्य सचिव (एसीएस) के के पाठक ने सभी प्रमंडल आयुक्तों को भेजे पत्र में यह भी कहा है कि जिलाधिकारियों को आदेश जारी करने से पहले शिक्षा विभाग से अनुमति लेनी चाहिए थी।

पत्र में कहा, ‘‘जिलाधिकारियों से पूछा जाए कि उनका निषेधात्मक आदेश केवल स्कूलों पर कैसे लागू होंगे और कोचिंग संस्थानों और सिनेमा हॉल, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों जैसे अन्य सार्वजनिक स्थानों पर क्यों नहीं।’’ पत्र में कहा गया है कि जब सीआरपीसी की धारा 144 लागू करने का आदेश दिया जाता है तो यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि ऐसा आदेश किसी न्यायिक जांच में पास होना चाहिए। इस तरह के आदेश को समानता की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए। इसका मतलब है कि निषेधाज्ञा आदेश सभी संबंधितों कोचिंग संस्थानों, सिनेमा हॉल जैसे सार्वजनिक स्थानों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों आदि पर समान रूप से लागू होना चाहिए।

शिक्षा विभाग के पत्र में कहा गया है कि ऐसे आदेश को स्कूलों से वापस लिया जाना चाहिए और भविष्य में सरकारी स्कूल के समय में बदलाव का आदेश देने से पहले शिक्षा विभाग से अनुमति लेनी होगी। इस पत्र की प्रति ‘पीटीआई-भाषा’ के पास है। पाठक के इस पत्र पर बिहार में कुछ वर्गों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया हुई है। बिहार की महागठबंधन सरकार का समर्थन कर रही भाकपा के बिहार विधान परिषद सदस्य और ‘फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी टीचर्स ऑफ बिहार’ के महासचिव संजय कुमार सिंह ने पाठक के पत्र को अव्यावहारिक और अमानवीय बताते हुए कहा,‘‘यह पत्र जमीनी हकीकत से कोसों दूर है। चरम सर्दी के दौरान बच्चों का स्वास्थ्य और जीवन हमेशा खतरे में रहता है। ऐसी स्थिति में जिलाधिकारी स्कूलों को बंद करने के आदेश (सीआरपीसी की धारा 144 के तहत) जारी करने के लिए बाध्य हैं।’’

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