रांची : हेमंत सरकार राजभवन की तरफ से वापस किए गये ओबीसी आरक्षण विधेयक पर कानूनी सलाह ले रही है। राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन ने झारखंड विधानसभा से पारित झारखंड आरक्षण (संशोधन) अधिनियम-2022 को राज्य सरकार को वापस कर दिया था। अब सरकार इस पर विचार कर रही है कि आगे क्या करना है।

अटॉर्नी जनरल से विचार विमर्श के बाद किया गया विधेयक वापस


राज्यपाल ने इसे वापस करते हुए कानूअटॉर्नी जनरल नी समीक्षा का सुझाव दिया है। सरकार इस पर विचार कर रही है। राज्यपाल ने अटॉर्नी जनरल से विचार विमर्श के बाद ही राज्यपाल ने इसे वापस लौटाया है साथ ही सरकार को इस पर कानूनी तथ्य समझने का सुझाव दिया है। सरकार ने इस विधेयक में झारखंड ओबीसी आरक्षण की सीमा 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा था। इसके साथ ही एसटी आरक्षण 26 से बढ़ाकर 28 फीसदी और एससी का आरक्षण 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने का फैसला लिया था।

सूत्रों की मानें तो राज्यपाल रमेश बैस ने भी इस विधेयक को अटॉर्नी जनरल के पास भेजा था। अटॉर्नी जनरल ने इस विधेयक की समीक्षा करते हुए कहा था कि इसके कई प्रावधान सुप्रीम कोर्ट के दिए गये फैसलों से नहीं मिलते हैं। अटॉर्नी जनरल की सलाह पर ही राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने इसे सरकार को वा

हेमंत सरकार के कई फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए राज्यपाल ने पहले भी विधेयक वापस भेजा है। जनवरी के महीने में झारखंड विधानसभा से पारित ‘झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के विधेयक, 2022’ की दोबारा समीक्षा के लिए राज्य सरकार को वापस कर दिया था। अब सरकार इन सभी पर विचार कर रही है।

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