रांची। नियुक्तियों में 10वीं-12वीं झारखंड से पास होने की बाध्यता हटा ली गयी है। आज हुई कैबिनेट में कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगी, लेकिन सबसे ज्यादा जो अहम प्रस्ताव था, वो नियोजन नीति को लेकर ही था। कैबिनेट में जेएसएससी के कई नियुक्ति नियमावली को भी वापस ले लिया गया है। नियमावली वापस लेते ही पूर्व की नीति यानी 2016 से पहले की नीति राज्य में लागू हो गई है।

राज्य भर में युवाओं की राय के आधार पर राज्य सरकार ने ये निर्णय लियाहै। इसे अलावे झारखंड नगरपालिका सेवा संवर्ग नियमावली और झारखंड दिव्यांगजन नियमावली में भी संशोधन किया गया है। इसके तहत वार्षिक माध्यमिक इंटरमीडिएट छात्र-छात्राओं को पुरस्कार राशि लैपटॉप और मोबाइल प्रदान करने की स्वीकृति मिली है।

10वीं और 12वीं में पहले दूसरे और तीसरे टॉपर को 3 लाख, 2 लाख और 1 लाख नकद सहित लैपटॉप, मोबाइल दिए जाएंगे। इसके अलावा साहिबगंज में मॉडल डिग्री कॉलेज अब राज्य मद से बनाए जाएगा। ओलंपिक खेलों में जितने वाले खिलाड़ियों को मिलने वाले पुरस्कार राशि में भी संशोधन किया गया है. इसके तहत स्वर्ण पदक जीतने वालों को 2 करोड़ के बदले अब 5 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

वहीं श्रम विभाग के छह विधेयकों को वापस लेनी के प्रस्ताव को मिली स्वीकृति. रघुवर सरकार के समय पारित हुए थे सभी छह विधेयक. भारत सरकार ने इन विधायकों के प्रावधानों पर आपत्ति जतायी थी। द कॉन्ट्रैक्ट लेबर (रेगुलेशन एंड एबोलिशन) (झारखंड अमेंडमेंट) बिल 2015, द बिहार इंडस्ट्रियल एस्टेब्लिशमेंट (नेशनल एंड फेस्टिवल हॉलिडे एंड कैजुअल लीव) झारखंड अमेंडमेंट बिल 2015, द झारखंड लेबर लॉ (अमेंडमेंट) एंड मिसलेनियस प्रोविजन बिल 2018, द इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट (झारखंड अमेंडमेंट) बिल 2018, द झारखंड शॉप एंड इस्टैब्लिशमेंट (अमेंडमेंट) बिल 2018, द फैक्ट्री (झारखंड अमेंडमेंट) बिल 2019

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