गिरिडीह । स्वास्थ्य विभाग अपने कर्मियों की मनमानी से परेशान है। विभागीय आदेश निकलने के बाद भी आदेश मानने को तैयार नहीं। ताजा मामला गिरिडीह सिविल सर्जन कार्यालय का है। रिश्वतखोर लिपिक को एसीबी की टीम ने रंगे हाथ दबोचने के बाद विभाग द्वारा ट्रांसफर किया गया।परंतु लिपिक आदेश मानने को तैयार नहीं।

क्या है मामला

घटना कुछ दिन पूर्व का है जिसमें रिश्वतखोरी कांड में जुड़े मामले में लिपिक संजय सिंह को एसीबी की टीम ने रंगे हाथ दबोचा था। रिश्वतखोर लिपिक एसीबी की टीम को झटका देकर फरार हो गया। इसके बाद दूसरे लिपिक रविशंकर पर भी भ्रष्टाचार के कई मामले आए थे। तभी स्वास्थ्य निदेशालय की तरफ से इनका ट्रांसफर आदेश जारी किया गया।

क्या कहते है सिविल सर्जन

जिले के सिविल सर्जन डा शिव प्रसाद मिश्रा का कहना है स्वास्थ्य निदेशालय के आदेश पर दोनो लिपिक को विरमित कर दिया गया है। लेकिन इसके बावजूद दोनों सिविल सर्जन कार्यालय आ रहे हैं या नहीं इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। विरमित करने के बाद भी सिविल सर्जन कार्यालय आना ये अनुशासनहीनता है। इसकी जानकारी ली जाएगी।

निदेशक प्रमुख द्वारा जारी ट्रांसफर आदेश

क्या कहते है मंत्रालय

वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के निदेशक ने कहा है कि अगर विरमित की जाने के बाद भी दोनों का अपनी अपनी जगह सदर अस्पताल में जमे हुए हैं। ये राज्य स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश का उल्लंघन है। ऐसे में उन्हें वेतन बंद कर कठोर कार्रवाई की जा सकती है। स्वास्थ विभाग की सूत्रों की माने तो दोनों का ट्रांसफर धनबाद और चतरा होने के बाद दोनों लिपिक ने सत्तारूढ़ दल के एक विधायक के पास ट्रांसफर होने तक की पैरवी करवाई थी। लेकिन विधायक की पैरवी का कोई असर नहीं पड़ा।

भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त सिविल सर्जन कार्यालय के रवि शंकर सिंह और संजय कुमार का ट्रांसफर धनबाद और चतरा कर दिया गया है। इसके बाद भी दोनों लिपिक हर रोज सिविल सर्जन कार्यालय पहुंचकर हाजिरी बनाने की सूचना मिल रही है। विरमित होने के बाद भी उसी कार्यालय के कर्मी का कार्यालय आने जाने में सिविल सर्जन द्वारा अनभिज्ञता जाहिर करना समझ से परे है। आखिरकार वरीय अधिकारी के आदेश का अनुपालन कराना भी विभाग की जिम्मेवारी है। उसके बावजूद लिपिक अड़ियल रवैया अपनाते है तो सिविल सर्जन की तरफ से की जाने वाली कारवाई पर विभाग की निगाहें टिकी रहनी लाजिमी है।

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