रांची। झारखंड में सियासी सरगर्मियां अचानक से तेज हो गयी है। चुनाव आयोग में खनन लीज मामले में सुनवाई पूरी होने और निर्णय सुरक्षित रखने के बाद अचानक से झारखंड का राजनीतिक पारा चढ़ गया है। कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को रांची छोड़कर बाहर नहीं जाने का आदेश दिया है। कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने अपने विधायकों को कहा है कि वो रांची छोड़कर ना जाये, अगर वो रांची से बाहर जाते हैं, तो आपात स्थिति में 4 घंटे के भीतर रांची में उपस्थिति सुनिश्चित करें। इधर,  झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो 20 से 26 अगस्त को हैलीफैक्स, कनाडा में होने वाली राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की 65वीं बैठक में भाग नहीं लेंगे। दौरा अंतिम समय में स्थगित हो गया। विधानसभा अध्यक्ष के साथ-साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा के मझगांव के विधायक निरल पूर्ति ने भी अपना दौरा टाल दिया है। प्रतिनिधिमंडल में शामिल गोमिया के आजसू विधायक लंबोदर महतो अकेले बैठक में शिरकत करेंगे।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने ने 20 अगस्त को विधायक दल की बैठक बुलायी है। इस बैठक में कांग्रेस और झामुमो दोनों दल के विधायक मौजूद रहेंगे। झामुमो विधायकों को भी पार्टी के साथ लगातार संपर्क में रहने के निर्देश दिये गये हैं। इधर बढ़ी सरगर्मियों के बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर दिल्ली पहुंचे हैं। हालांकि वो AICC की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली गये हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि वो इस दौरान दिल्ली में शीर्ष नेताओं से मुलाकात पार्टी के हालात की जानकारी देंगे।

खनन मामले को लेकर 22 अगस्त को बसंत सोरेन को भी चुनाव आयोग ने तलब किया है। आरोप है कि खनन पट्टे की जानकारी चुनाव के दौरान शपथ पत्र में छुपायी गयी थी। बसंत अभी दुमका से विधायक हैं, उन्हे विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की मांग उठी है।

मौजूदा स्थिति को देखें तो झारखंड में झामुमो 30 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। वहीं भाजपा के पास बाबूलाल मरांडी समेत 26 विधायक हैं। वहीं कांग्रेस में प्रदीप यादव को मिलाकर 18 विधायक है। आजसू के पास 2, माले के 1, रांकांपा के 1 और राजद के 1 विधायक हैं।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...