रांची: राजधानी में 10 जून को हुई हिंसा के मामले में कई बड़े खुलासे हुए हैं। जांच में पता चला है कि हिंसा फैलाने की रणनीति पहले से ही तैयार थी। हिंसा में इस्तेमाल हुए पत्थर को पहले ही जमा करके रखा गया था। युवकों को पैसे का लालच देकर सीमेंट के बोरे में पत्थर और ईट, पथराव के उद्देश्य मंगाई गई थी। जुमे की नमाज के बाद ही हिंसा फैलाने की योजना पहले से थी।

चार्जशीट में हुए कई बड़े खुलासे


इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने सीजेएम कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में कई बड़े खुलासे हुए हैं, ईंट-पत्थर की व्यवस्था करने के लिए युवकों को पांच हजार रुपये का लालच दिया गया था। हिंदपीढ़ी कांड संख्या 79/2022 में जेल में बंद कुर्बान चौक निवासी मो. अमन एवं निजाम नगर निवासी मो. सेराजुल के खिलाफ पथराव कराने, भड़काऊ नारा लगाने समेत कई गंभीर आरोप हैं।

नमाज के बाद हिंसा फैलाने की थी योजना

पुलिस ने इन दोनों को 24 अगस्त को गिरफ्तार कर किया था। इसके बाद से दोनों आरोपी जेल में थे। चार्जसीट में ये लिखा गया कि घटना के दिन खेत मोहल्ला निवासी सद्दाम का फोन आरोपियों को आया। उसी के कहने पर एक बोरा पत्थर भरकर महावीर मंदिर के पास पहुंचे थे। वहीं से पत्थरबाजी शुरू हुई। जब दोनों तरफ से हिंसा तेज हो गई तो दोनों फरार हो गए। इस मामले में रांची हिंसा के बाद दिल्ली मार्केट थाना में कांड संख्या 16 /2022 दर्ज किया गया था। यहां से अब तक अनुसंधान जारी है इस केस में सैकड़ों लोग अभियुक्त हैं।

घटना के अहम तथ्य

  • कुल 18 केस दर्ज किये गये।
  • 22 नामजद सहित आठ-दस हजार अज्ञात आरोपी
  • आरोपियों में से दो मो मुद्दसिर व मो साहिल की फायरिंग में घायल होने के बाद हुई मौत
  • घटना में धनबाद के गोविंदपुर स्थित जैप-3 के जवान अखिलेश यादव के पैर में लगी थी गोली,
  • आठ-दस पुलिसकर्मी हुए थे घायल, फायरिंग, पत्थरबाजी व आगजनी हुई थी

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