रांची। झारखंड में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद संवैधानिक संकट की स्थिति है। पूर्व मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि नये मुख्यमंत्री की ताजपोशी की कोई खबर नहीं है। ऐसे में झारखंड की मौजूदा राजनीतिक स्थिति क्या है? क्या अभी प्रदेश में कोई भी मुख्यमंत्री नहीं है? जबकि संविधान कहता है कि सामान्य परिस्थिति यानि अगर राष्ट्रपति शासन नहीं लगा होता है, तो राज्य में कम से कम कार्यवाहक मंत्रिमंडल व मुख्यमंत्री होना जरूरी है।

लेकिन, झारखंड में अभी क्या स्थिति है, ये किसी को मालूम नहीं है। राज्यपाल ने भी ये कहकर प्रतिनिधिमंडल से पत्र ले लिया है, कि वो इसका अवलोकन करेंगे और फिर शपथ को लेकर निर्णय लेंगे। कानून के जानकारों का स्पष्ट मानना है कि हर हाल में प्रदेश में एक कार्यवाहक मुख्यमंत्री होना जरूरी है। भले ही वो जेल में ही क्यों ना हो, लेकिन ये राज्यपाल तय करेंगे।

इस बीच प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की भी चर्चा तेज हो गयी है। भाजपा भी मौके की नजाकत को देखकर अपने जुगाड़ में जुटी है। निशिकांत दुबे के बंगले पर भाजपा की बैठक देर रात तक चलती रही। चर्चा है कि बैठक में परिस्थितियों का आकलन किया गया और सरकार बनाने की संभावनाओं को भी टटोला गया। हालांकि नंबर गेम में वो काफी पीछे है। भाजपा सरकार में तभी आ सकती है, जब वो झामुमो के विधायकों को तोड़े। ऐसे में सीता सोरेन, बसंत सोरेन जैसे नामों पर भाजपा जरूर दांव लगाने की कोशिश में है।

झारखंड में ये है नंबर गेम
झारखंड में कुल विधानसभा की सीटें 81 है। यानि मैजिक फीगर है 41। गठबंधन के आंकड़ों में झामुमो सबसे बड़ी पार्टी है। उसके पास 28 विधायक है। गठबंधन में सहयोगी कांग्रेस दूसरी बडी पार्टी है, जहां 17 विधायक हैं, वहीं आरजेडी के 1 और सीपीआई के 1 विधायक है। कुल मिलाकर इनके पास 47 विधायक थे, हालाकि गांडेय की सीट खाली है। वहीं एनडीए की बात करें तो भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है, उसके बाद 26 विधायक हैं, जबकि आजसू के पास 3, निर्दलीय 2 और एनसीपी की 1 सीट है। कुल मिलाकर एनडीए का आंकड़ा 32 पहुंचता है। उसे हर हाल में जेएमएम और कांग्रेस को तोड़ना होगा, तभी वो 41 के आंकड़ों तक पहुंच पायेगी।

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