नई दिल्ली।योग गुरु स्वामी रामदेव को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से एक बार फिर झटका लगने के बाद पतंजलि आयुर्वेद ने एक सार्वजनिक माफीनामा प्रकाशित किया है. इसमें पतंजलि ने कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं. विज्ञापन प्रकाशित न करने के कोर्ट के निर्देश पर पतंजलि का कहना है कि यह गलती दोबारा नहीं दोहराई जाएगी. यह माफी सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से एक दिन पहले आई है.

आज होनी है सुनवाई

स्वामी रामदेव की संस्था पतंजलि आयुर्वेद का यह माफीनामा सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से एक दिन पहले आया. सुप्रीम कोर्ट 23 अप्रैल को पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले सुनवाई करेगा. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से बुलाया गया है.

‘हेल्थ एंड फिटनेस सर्विस’ की श्रेणी में आता है योग शिविर, देना होगा tex

दरअसल CESTAT (Customs Excise And Service Tax Appellate Tribunal) ने माना था कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की ओर से आयोजित योग शिविर किसी भी व्यक्ति से भागीदारी के लिए शुल्क लेता है. इसलिए ट्रस्ट द्वारा आयोजित योग शिविर सर्विस टैक्स के दायरे में आने चाहिए. ट्राइब्यूनल ने कहा था कि ट्रस्ट विभिन्न आवासीय और गैर-आवासीय शिविरों में योग प्रशिक्षण प्रदान करने में लगा हुआ है. इसके लिए भागीदारों से दान के रूप में राशि एकत्र की जाती है, लेकिन असल में यह उक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रवेश शुल्क होता है.जिसका टैक्स नहीं दिया जाता है।

अब देना होगा tex

सुप्रीम कोर्ट ने 21 अप्रैल को हुई सुनवाई में बाबा रामदेव को कहा था कि अब उनके योग शिविर सर्विस टैक्स के दायरे में आ गए हैं. स्वामी रामदेव के योग शिविरों का आयोजन करने वाली संस्था ‘पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट’ अब सर्विस टैक्स यानी सेवा शुल्क का भुगतान करना होगा. अब उनके योग शिविर सर्विस टैक्स के दायरे में आ गए हैं. स्वामी रामदेव के योग शिविरों का आयोजन करने वाली संस्था ‘पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट’ अब सर्विस टैक्स यानी सेवा शुल्क का भुगतान करना होगा.

क्या है मामला, SC ने कहा –

पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट स्वामी रामदेव के योग शिविरों के लिए प्रवेश शुल्क (Entry Fee) लेती है. जस्टिस ओक और जस्टिस भुइयां की पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल ने सही कहा है. प्रवेश शुल्क लेने के बाद तो शिविरों में योग एक सेवा (सर्विस) है. हमें ट्राइब्यूनल के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता. लिहाजा पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की अपील खारिज की जाती है.’ इसी के साथ अदालत ने सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय ट्राइब्यूनल (CESTAT) की इलाहाबाद पीठ के 5 अक्टूबर, 2023 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

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