‘Maryada Purushottam Ram’, these qualities will change your life

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह आज है। ऐसे में रामराज शब्द काफी गूंज रहा है आखिर ये जानना आवश्यक है कि रामराज की परिभाषा क्या है। श्री राम को पुरुषोत्तम राम क्यों कहा जाता है उनके किन गुणों ने मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया।

भगवान श्री राम श्रेष्ठ राजा थे. उन्होंने मर्यादा, करुणा, दया, सत्य, सदाचार और धर्म के मार्ग पर चलते हुए राज किया. इस कारण उन्हें आदर्श पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है. भगवान राम में अनेक गुण हैं, जोकि हर व्यक्ति में जरूर होना चाहिए.

भगवान राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं. राम ने रावण का संहार करने के लिए त्रेता युग में धरती पर अवतार लिया. राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना गया.परंतु ये जानना आवश्यक है की उनका यह नाम क्यों पड़ा. दरअसल, राम ने मर्यादा का पालन करते हुए कई आदर्श प्रस्तुत किए. आज आपको बताते हैं कि उनके कौन से आदर्शों ने उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम बनाया और इन्हें अपनाकर आपका जीवन कैसे बदल सकता है.

आज्ञाकारी पुत्र

राम एक आज्ञाकारी पुत्र थे. उन्होंने माता कैकयी की 14 साल की वनवास की इच्छा को स्वीकार किया. उनके पिता राजा दशरथ, रानी कैकेयी से वचनबद्ध थे. राम ने ‘रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जायपर वचन ना जाय’ का पालन किया. राजपाट का त्याग किया और 14 साल के वनवास पर चले गए.

आदर्श भाई

श्रीराम एक आदर्श भाई भी थें. राम ने कभी भरत से न ईष्या की और न द्वेष. बल्कि हमेशा भरत के प्रति अपना प्रेम दिखाते रहे और उसे राजपाठ संभालने की प्रेरणा देते रहे.

आदर्श पति

राम ने तीसरा आदर्श पति के रूप में प्रस्तुत किया. प्रभु राम 14 वर्ष तक वनों में वनवासी होकर रहे. ऋषियों-मुनियों की सेवा की. राक्षसों का संहार किया. रावण ने जब उनकी पत्नी देवी सीता का अपहरण किया तो राम ने रावण का सर्वनाश कर दिया.

आदर्श राजा

राम एक आदर्श राजा भी थे. उन्होंने राजा का जो आदर्श प्रस्तुत किया उसे आज तक कोई भुला नहीं सका. राम राज्य में किसी को कोई कष्ट नहीं था. सारी प्रजा सुखी थी. राम ने जीवन में कभी मर्यादा का उल्लघंन नहीं किया. इसीलिए वो मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए. माता-पिता और गुरू की आज्ञा का पालन करते हुए ‘क्यों’ शब्द कभी उनके मुख पर नहीं आया. भगवान राम के आदर्श जीवन से प्रेरणा लेकर आप भी अपना जीवन सुधार सकते हैं.

धैर्य की पराकाष्ठा

भगवान श्रीराम में सहनशीलता और धैर्य की परकाष्ठा का विशेष गुण है. इसका पता इस बात से ही चलता है कि कैकयी की इच्छा व आज्ञा से वह 14 वर्ष वनवास के लिए चले गए. अयोध्या का राजा होते हुए भी उन्होंने संन्यासी की तरह जीवन बिताया.

मित्र का सम्मान

भगवान राम के कई मित्र थे. केवट, सुग्रीव, निषादराज और विभीषण सभी के साथ भगवान राम एक जैसा मित्रता का भाव रखते थे. मित्रों के लिए राम जी ने कई बार स्वयं संकट भी उठाए. भगवान राम की तरह मित्रता निभाने का गुण हर किसी में होना चाहिए.

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