Mukhtar Ansari Fooddy: माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की मौत हो गयी है। आज उसे सुपूर्द-ए-खाक कर दिया जायेगा। जब से माफिया मुख्तार की मौत हुई है, उससे जुड़े एक से बढ़कर एक किस्से सामने आ रेह हैं। 60 से ज्यादा केस के आरोपी और सजायाफ्ता मुख्तार की यूपी की बांदा जेल में तबीयत बिगड़ी थी और फिर इलाज के दौरान बांदा मेडिकल कॉलेज में उसकी हार्ट अटैक से मौत हो गयी।

मुख्तार पिछले 19 साल से जेल में बंद था। यही वजह थी कि वो जेल के खाने से अक्सर परेशान रहता था. आलम यह था कि उसने एमपी-एमएलए कोर्ट में वर्चुअल पेशी के दौरान खाने को लेकर स्पेशल सेशन जज के सामने गुहार तक लगाई थी। उस वक्त मुख्तार ने जज से कहा था कि उसे खाने पीने का सामान, फल और कुरकुरे भिजवा दीजिये।

खाने का बहुत शौकीन था
मुख्तार का रसूख और दबंगई जेल में भी खूब चलती थी. वह जो चाहता था, वही खाता था. यूं तो मुख्तार अंसारी की जिंदगी से जुड़े कई किस्से हैं, जिन्हें लोग सुनते सुनाते आए हैं. लेकिन मुख्तार को खाने का शौक किस कदर था, इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है। सच तो यह है कि कभी उत्तर प्रदेश की जेलें ही मुख्तार अंसारी के लिए पनाहगाह हुआ करती थीं।

जहां से मुख्तार अपने तमाम कारनामों का ताना-बाना बुनता था। जहां जेल की चहारदीवारी उसकी मनमौजी में कभी बाधा नहीं बनी। हालात बिल्कुल अलग थे। नवंबर 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णनंद राय की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी, उस वक्त मुख्तार अंसारी यूपी की फतेहगढ़ जेल में बंद था।

वारदात के एक महीने पहले ही मुख्तार अंसारी को गाजीपुर जेल से फतेहगढ़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। जानकार इसे भी मुख्तार अंसारी की साजिश का हिस्सा मानते थे. उस समय उत्तर प्रदेश पुलिस में आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) हुआ करते थे बृजलाल, जो उस जमाने को याद करते हुए बताते हैं , “गाजीपुर जेल तो मुख्तार अंसारी का घर हुआ करती थी। मनपसंद मछली खाने के लिए उसने जेल में ही तालाब खुदवा दिया था। शाम को जेल के अंदर बाकायदा दरबार लगता था। जिले के बड़े-बड़े अधिकारी मुख्तार अंसारी के साथ बैडमिंटन खेलने आते थे।”

दरअसल, मुख्तार अंसारी को मछली खाना बेहद पसंद था. लेकिन जेल में उसे सादा खाना मिलता था। रोज-रोज बाहर से खाना आना भी मुमकिन नहीं था। इसी बात से परेशान होकर मुख्तार ने जेल के भीतर ही तालाब खुदवा दिया था और उसमें मछली डाली गई थ।. जब भी उसका मन होता था, वो तालाब से मछली निकलवाकर वहीं बनवाता था और खाता था। यही नहीं, कई बार तो जिले के कई बड़े अफसर, नामी गिरमी नेता भी उसके साथ खाना खाने के लिए जेल आते थे. वो जेल में खेला भी करता था।

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