What will happen to the contract workers in Jharkhand? CEC bluntly said… “Election duty will not be imposed on contracted employees”

रांची। लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। झारखंड में चार चरणों में चुनाव कराये जायेंगे। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ प्रदेश में आचार संहिता भी लागू हो गयी है। चुनाव की तारीखों का ऐलान करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा है कि चुनाव में अनियमित, संविदा और अनुबंधित कर्मचारियों को नहीं लगाया जायेगा। हालांकि झारखंड में पहले ही संविदाकर्मियों को चुनाव ड्यूटी में लगाया जा चुका है। कई अनुबंधित कर्मचारियों को तो प्रजाइडिंग अफसर बना कर ट्रेनिंग दी जा रही है।

इससे पहले शनिवार को हुए प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कर्मचारियों की तैनाती के संदर्भ में स्पष्ट किया है कि चुनाव कार्य में संविदा और अनियमित कर्मचारियों को नहीं लगाया जायेगा। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने स्पष्ट कहा है कि…

“मैंने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (डीसी/उपायुक्त) को सख्त निर्देश दिया है कि जो भी अधिकारी-कर्मचारी तीन साल से उपर के हैं, उन्हें बदल दीजिये, एकाउंटबिलीटी तय है, सभी अपने नीचे के अधिकारी कर्मचारी को देखें। स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी स्तर पर चुनाव में वालेंटियर और कांट्रेक्च्यूल स्टाफ (अनुबंधित/संविदा/अनियमित) कर्मचारियों को किसी भी स्तर पर चुनाव डयूटी में नहीं लगाया जायेगा। किसी भी स्टेज में कोई भी वालेंटियर और कांट्रेक्च्यूल स्टाफ की ड्यूटी नहीं लगेगी, कई सारे राज्यों में ऐसी ड्यूटी लगायी गयी है, मैं फिर से स्पष्ट कर देना चाहता हूं, कि किसी भी स्तर पर इनकी डयूटी नहीं लगेगी”

ऐसे में सवाल उठने लगा है कि चुनाव आयुक्त के निर्देश के बाद क्या संविदाकर्मियों को चुनाव ट्रेनिंग से हटाया जायेगा, या फिर उनके लिए अलग से परमिशन मांगी जायेगी। झारखंड में चुनाव आयोग के दिशा निर्देश से परे स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों में अनुबंध पर काम कर रहे कर्मियों को चुनाव ड्यूटी में लगा दिया गया है। हद तो ये है कि कई कर्मचारी उस स्तर के पदों की योग्यता नहीं रखते हैं, उसके बावजूद उन्हें प्रजाइडिंग अफसर, पोलिंग अफसर वन और टू तक की ट्रेनिंग दी गयी है।

चुनाव आयोग के स्पष्ट निर्देश के बाद अब विभाग के साथ-साथ कर्मचारियों में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है, कि क्या वाकई में चुनाव आयोग की नाफरमानी कर अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों से ही चुनाव ड्यूटी में काम लिया जायेगा या फिर उन्हें बदला जायेगा। हालांकि मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में कर्मचारियों की कमी का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से विशेष परिमिशन मांगी गयी है। चुनाव आयोग ने भी राज्य निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव पर कर्मचारियों के बारे में जानकारी मांगी है। हालांकि अभी इस मामले में विस्तृत कोई निर्देश नहीं आया है।

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