रांची/धनबाद । झारखंड राज्य के 24 जिला में से 19 जिला में साक्षर भारत कार्यक्रम संचालित हुआ था ! झारखंड के इन 5 जिले सरायकेला खरसावां , जामताड़ा , खुटी , सिमडेगा और पूं सिंहभूम जिले में कार्यक्रम संचालित नहीं था ! बोकारो और कोडरमा जिला को छोड़कर बाकी सभी जिलों के साक्षरता कर्मियों ( प्रेरकों ) का मानदेय वकाया है।

क्या कहते हैं संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार

राज्य भर के इन साक्षरता कर्मीयों के बकाया मजदूरी हेतु जिला प्रशासन / राज्य सरकार ( शिक्षा विभाग )/ शिक्षा सचिव / निदेशक प्राथमिक शिक्षा तक अपनी की व्यथा / दर्द को पहुंचाते हुए बकाया मजदूरी की मांग की गई, परंतु न तो बकाया मजदूरी का भुगतान किया गया, न ही नव भारत साक्षरता कार्यक्रम में शामिल किया गया। जिससे कि झारखंड राज्य के लगभग 8500 साक्षरता कर्मियों के समक्ष बेरोजगारी की संकट उत्पन्न हो गई है।

क्या है मामला

झारखंड राज्य को पूर्ण साक्षर बनाने के लिए वर्ष 1994 – 95 से धनबाद जिला अन्तर्गत सभी कर्मियों ने झरिया प्रखंड में सम्पूर्ण साक्षरता अभियान , उत्तर साक्षरता , सतत् शिक्षा तक बिना कोई सुविधा और न्यूनतम मजदूरी से भी कम मानदेय पाकर निस्वार्थ भाव से इन कर्मियों ने कार्य किया।

वर्ष 2009 – 10 से केंद्र प्रायोजित योजना ( प्रौढ़ शिक्षा अन्तर्गत ) साक्षर भारत कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें प्रत्येक पंचायत में एक महिला एक पुरुष को प्रेरक के पद पर ( अनुबंध के आधार पर ) चयन किया गया था । जिसका मानदेय प्रतिमाह ₹ 2000 निर्धारित था। 31 मार्च 2018 के बाद कार्यक्रम स्थगित / बन्द हो गया।

अप्रैल 2022 से इस कार्यक्रम को अपडेट करते हुए नव भारत साक्षरता कार्यक्रम आयोजित किया गया ! जिसमें पूर्व से कार्य कर रहे प्रेरकों को कार्यक्रम से अलग ( वंचित ) कर दिया गया तथा पूर्व से कार्यरत सभी प्रेरकों का बकाया मानदेय भी भुगतान नहीं किया गया है ! धनबाद जिला के झरिया प्रखंड के 63 पंचायत लोक शिक्षा केंद्र के 126 प्रेरकों का 23 माह का 2000 रूपये / माह = 46 हजार रुपए प्रति प्रेरक के हिसाब से कुल 57 लाख 96 हजार बकाया है, जिसका भुगतान विभाग द्वारा नहीं किया जा रहा है।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...