नई दिल्ली: अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के तौर पर नियुक्ति पर सवाल खड़े हो गए हैं। यह सवाल सुप्रीम कोर्ट ने उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल मांगी है। सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि वह बस यह देखना चाहते हैं कि इस नियुक्ति में कोई गड़बड़झाला तो नहीं हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़ी याचिका पर सुनवाई चल रही है। बेंच ने कहा है कि हम तो बस यह जानना चाहते हैं कि नियुक्ति के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई। अगर यह नियुक्ति कानूनी तौर पर सही है तो घबराने की क्या जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बेहतर होता कि सुनवाई के दौरान यह नियुक्ति नहीं ह

चार नामों पर कोर्ट ने किया सवाल

मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने सवाल किया, ‘कानून मंत्री ने जो 4 नाम भेजे, उन नामों में क्या विशेष बात है। उसमें से सबसे जूनियर अधिकारी को ही क्यों और कैसे चुना गया। रिटायर होने जा रहे अधिकारी ने इस पद पर आने से पहले VRS भी लिया। इस पर केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने की मांग पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। बता दें कि याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयुक्त का चयन CJI, पीएम और नेता विपक्ष की कमिटी को करना चाहिए।

अटॉर्नी जनरल ने दिए जवाब

अटॉर्नी जनरल ने कहा, ‘प्रक्रिया में कुछ गलत नहीं हुआ। पहले भी 12 से 24 घंटे में नियुक्ति हुई है। ये 4 नाम DoPT के डेटाबेस से लिए गए। वह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।’ उन्होंने आगे बताया, ‘नाम लिए जाते समय वरिष्ठता, रिटायरमेंट, उम्र आदि को देखा जाता है। इसकी पूरी व्यवस्था है। आयु की जगह बैच के आधार पर वरिष्ठता मानते हैं।’

मामले की सुनवाई करने वाली जजों की बेंच का कहना था कि हाल में हुई नियुक्ति से अभी जारी चयन प्रक्रिया को बेहतर समझा जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि चुनाव आयुक्त चुनने के लिए CJI, PM और नेता विपक्ष की कमेटी बनाने की मांग वाले मामले की सुनवाई की जा रही है ।

कौन हैं अरुण गोयल

  • अरुण गोयल 1985 बैच के पंजाब काडर के आईएएस हैं. 1993 में गोयल भटिंडा के कलेक्टर बने। 1995 से 2000 तक लुधियाना के कलेक्टर रहे। 2010 तक गोयल पंजाब सरकार में अलग-अलग पदों पर रहे।
  • 2011 में उनकी नियुक्ति केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में हुई. 2018 में संस्कृति मंत्रालय और 2020 में भारी उद्योग मंत्रालय में सचिव बने।
  • इस साल 31 दिसंबर को वो रिटायर होने वाले थे, लेकिन महीनेभर पहले ही उन्हें वीआरएस दिया गया और चुनाव आयुक्त बनाया गया। भारी उद्योग मंत्रालय में वो 18 नवंबर तक सचिव रहे और 19 नवंबर को उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया। 21 नवंबर को उन्होंने कार्यभार भी संभाल लिया।
  • मौजूदा मुख्य चुनाव राजीव कुमार फरवरी 2025 तक इस पद पर रहेंगे। उनके बाद अरुण गोयल मुख्य चुनाव आयुक्त बन सकते हैं।

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