गिरिडीह। ससुर शिबू सोरेन की तबीयत बहुत ही खराब है… सासू मां की भी तबीयत खराब है… विषम परिस्थितियों में उन दोनों का आशीर्वाद लेकर आप लोगों के बीच आई हूं….कभी तल्खी…तो कभी भावुक…कल्पना सोरेन की राजनीति में इंट्री हो ही गयी। गिरिडीह में झारखंड मुक्ति मोर्चा का 51वां स्थापना दिवस में पहुंची कल्पना सोरेन ने पहली बार मंच से लोगों को संबोधित किया। इस दौरान अपने पति का बचाव करते हुए विपक्षी दलों पर जमकर हमला होगा।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वह अपने पति को याद करके भावुक हो गईं और कहा कि सोचा था कि ”मैं आंसू रोक लूंगी.” कल्पना ने इस दौरान केंद्र सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि ये दिल्ली में बैठते हैं लेकिन इनका दिल नहीं धड़कता। कल्पना सोरेन पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए रोने लगीं. उन्होंने कहा, ”बहुत ही भारी मन से आज का दिन आपके समक्ष में खड़ी हूं. एक पिता के रूप में मेरे ससुरजी और मेरी सासु मां जो बहुत ही बीमार वृद्ध हो चुकी हैं. वह भी आहत और परेशान हैं।

मैंने सोचा था कि मैं अपने आंसू को रोक लूंगी लेकिन आप लोगों का प्यार देखकर आज मुझे वही ताकत मिल रही जो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.” इस बीच ”जेल का ताला टूटेगा. हेमंत सोरेन छूटेगा.” का नारा भी कार्यकर्ता लगाते रहे। कल्पना सोरेन की राजनीति में सक्रिय रूप से एंट्री पर गिरिडीह की जनता ने ताली बजाकर उनका अभिनंदन किया। कल्पना सोरेन ने कहा कि 4 मार्च को पार्टी का स्थापना दिवस है और 3 मार्च को मेरा बर्थडे था। अपने बर्थडे के अवसर पर जेल में जाकर हेमंत सोरेन से मिली जहां पर उन्होंने हिम्मत दी और अपनी आवाज बनकर लोगों के बीच जाने की सलाह दी।

इसके बाद हमने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और इसके लिए मैंने ऐतिहासिक जगह गिरिडीह को चुना है। इस दौरान कल्पना सोरेन ने कहा कि हेमंत सोरेन की कोई गलती नहीं है लेकिन गरीब, आदिवासी और अल्पसंख्यकों के लिए काम करने की वजह से उन्हे फर्जी मुकदमे में जेल डाल दिया है। वहीं उन्होंने बताया कि हेमंत सोरेन की गलती सिर्फ इतनी है कि केन्द्र से अपना अधिकार मांगा था। कल्पना ने कहा कि अब आदिवासी, गरीब और अल्पसंख्यकों की आवाज बनूंगी। पूर्व सीएम की पत्नी ने आगे बीजेपी पर हमला करते हुए कहा, ”षडयंत्र रचा गया है और उनको जेल का रास्ता दिखाया गया है।
कल्पना सोरेन ने कहा कि कितनी घटिया और ओछी सोच है ऐसे लोगों की, जो लोग दिल्ली में रहते हैं लेकिन दिल धड़कता ही नहीं है उनके अदंर, क्यों यहां आदितवासी, दलित और अल्पसंख्यक जिनको ये लोग कीड़ा समझते हैं उनकी सरकार है. इनके अंदर कितनी घृणा भरी हुई है जिन्होंने पूर्व सीएम को पद से उतारने के लिए उनको बाध्य कर दिया।

उनको अपनी जगह छोड़नी पड़ी क्योंकि झारखंड की सरकार किसी के आगे न झुके. , झारखंडी, वंचितों और मूल वासियों की सरकार गिराने की मंशा बिखर गई. लेकिन हमारे जितने भी विधायक हैं और कार्यकर्ता हैं, उनके मनोबल से यह प्रतीत होता है कि हमने उनको परास्त कर दिया लेकिन आने वाले समय में वोट के द्वारा दिखाना है कि ये झारखंड कभी झुकेगा नहीं. झारखंडी कभी झुकेगा नहीं। कार्यक्रम के दौरान हजारों की भीड़ मौजूद थी।

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