रांची: जब देश की सरहद की रक्षा करने वाले जवान को अपने ही घर लौटने के लिए मुख्यमंत्री से गुहार लगाने के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय पहुंचना पड़े तो आप खुद सोच में पड़ जायेंगे कि आखिर ये हो क्या रहा है… ऐसी ही एक घटना प्रकाश में आई है। देश के सियाचिन बॉर्डर पर कार्यरत सेना के जवान को अपने घर की याद आई तो विभाग में आवेदन दिया। विभाग से घर जाने की छुट्टी भी मिल गई। जवान अपने गृह राज्य झारखंड भी पहुंच गए। परंतु राजधानी रांची से अपने घर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे क्योंकि इन्हें कुछ दबंगों ने घर आने पर जान से मारने की धमकी दे रखे हैं। सो कोई रास्ता न देख जवान को मुख्यमंत्री सचिवालय जाकर मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है।

क्या है मामला

मामला गढ़वा जिले के रहने वाले मुनेश्वर यादव का है जो जिले के भंडरिया गांव के रहने वाले हैं। देश की सेवा का जुनून रखने वाले यादव वर्तमान में सियाचिन बॉर्डर पर कार्यरत हैं। अपनी मातृभूमि की याद आई तो स्वीकृति लेकर अपने गांव की की तैयारी कर ली। रास्ते में कुछ दबंगों से इन्हें धमकी मिली की गांव पहुंचने पर जान से मार दिया जायेगा। अब ये जवान रांची से अपने घर नहीं जा पा रहे है।कोई रास्ता न देख इन्होंने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई।

मुख्यमंत्री ने किया ट्विट

मामला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संज्ञान में आने के बाद गढ़वा के उपायुक्त को ट्वीट कर इस मामले पर कारवाई कर जांच रिपोर्ट देने का आदेश दिया। मुख्यमंत्री ने स्थानीय विधायक सह मंत्री मिथलेश ठाकुर को भी इस मामले में मदद पहुंचाने का आदेश जारी किया। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद प्रशासन रेस हो गया और अब इस मामले की जांच पड़ताल में लग गया है।

उपायुक्त गढ़वा ने की जांच सुरक्षा का दिया भरोसा

मुख्यमंत्री के आदेश के बाद गढ़वा के उपायुक्त ने ट्वीट कर जानकारी देते हुए कहा की मुनेश्वर यादव के पिता नंदकेश्वर यादव से बात की। उन्होंने बताया की प्राप्त जानकारी के अनुसार रिश्तेदार के साथ भूमि विवाद चल रही है। उनके परिजनों ने मुझे फोन पर यह बातें बताया। फिलहाल सेना के जवान के माता पिता भंडरिया में रहते हैं और जवान उनसे मिलने जाना चाह रहा है। मैंने पूरी तरह से जमीन विवाद के निष्पादन और जवान की सुरक्षा का आश्वासन दिया है।

विपक्ष ने ली चटकी

विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने इस घटना पर चुटकी लेते हुए कहा है कि देश की सीमा पर तैनात होकर देश की रक्षा करने वाले जवान को छुट्टी में अपने घर जाने के लिए जान माल का डर सताए तो उस राज्य की कानून व्यवस्था की क्या दुर्दशा है? अपने ही घर जाने के लिए मुख्यमंत्री का सहारा लेना पड़ रहा है।

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