पटना। ज्वाइनिंग कर चुके शिक्षकों के सर्टिफिकेट की अब दोबारा जांच होगी। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में सभी जिलों को आदेश जारी कर दियाहै। दरअसल शिक्षा विभाग को ये खबर मिली है कि नये भर्तियों हुए शिक्षकों में कईयों ने फर्जी दस्तावेजों और गलत पहचान के आधार पर नौकरियां ली है। लिहाजा अब विभाग दोबारा से इन डाक्यूमेंट्स को चेक कर रहा है। 15 जनवरी से सर्टिफिकेट वैरिफिकेशन का काम शुरू किय जायेगा।

जानकारी के मुताबिक नवंबर में काउंसलिंग के समय प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए अभ्यर्थियों के अंगूठे के निशान विभाग के साथ शेयर करने में बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की ‘विफलता’ को विसंगतियों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। विभाग ने हाल ही में 4000 चयनित शिक्षकों को री-वेरिफिकेशन के लिए बुलाया और यह भी पता लगाने के लिए कि क्या परीक्षा में उपस्थित हुए उम्मीदवार वही थे जो सेवा में शामिल हुए थे।

कार्रवाई के दौरान विभाग ने तीन धोखेबाजों की पहचान की है, इसके अलावा जॉइन करने वाले तीन शिक्षक भाग गए। विभाग की तरफ से इन फर्जी शिक्षकों के खिलाफ तो कार्रवाई शुरू की है, लेकिन संदेह अन्य शिक्षकों पर भी बढ़ गया है। लिहाजा पहले चरण की शिक्षक भर्ती में नौकरी पाने वाले शिक्षकों री-वेरिफिकेशन के लिए अलग-अलग बैच में बुलाने का आदेश दिया गया है। ये शिक्षक अपने संबंधित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के साथ आएंगे जहां वे वर्तमान में तैनात हैं।

अंगूठे के निशान के मिलान के दौरान विसंगतियां पाई जाती हैं, तो अवैध गतिविधियों में शामिल पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। री-वेरिफिकेशन के दौरान सभी चयनित उम्मीदवारों के आधार कार्ड हिस्ट्री की भी चेक की जाएगी, क्योंकि अक्सर देखा गया है कि धोखेबाज पहचान से बचने के लिए आधार कार्ड में बार-बार बदलाव करते हैं।

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