जोधपुर। चूडियां बेचने वाली का बेटा CRPF में अफसर बन गया, तो पूरा गांव बधाई देने उमड़ पड़ा। बधाई देने वालों में कई वैसे भी पड़ोसी थे, जो ताना देते थे, जो मजाक उड़ाया करते थे। खबर राजस्थान के बाड़मेर जिले के ढूंढा गांव की है। चूड़ियां बेचने वाली मां के बेटे ने केंद्रीय कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की 5 स्तरीय परीक्षा पास कर सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) में सब-इंस्पेक्टर (Sub Inspector) का मुकाम हासिल किया है. बेटे राहुल की इस उपलब्धि से जहां माता -पिता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं हैं तो दूसरी तरफ लोग अब मेहनतकश मां और बेटे दोनों की तारीफ कर रहे हैं।

सब इंस्पेक्टर बने राहुल गवारिया ने एसएससी सीआरपीएफ सब-इंस्पेक्टर की परीक्षा दी थी। हाल ही के दिनों में जब रिजल्ट घोषित हुआ तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। क्योंकि राहुल गवारिया ने अपने समाज में इकलौता वो शख्स है जो इस मुकाम तक पहुंचने में सफल हुआ है। राहुल की माता कमला देवी अनपढ़ हैं और पिता महज आठवीं पास हैं।

समाज के तानों के बावजूद माता -पिता ने राहुल को पढ़ाया. बाड़मेर में कॉलेज शिक्षा के दौरान राहुल ने एनसीसी ज्वॉइन की और गणतंत्र दिवस कैंप 2019 में हिस्सा लेकर जोधपुर ग्रुप कैडेट्स में बेस्ट कैडेट्स का अवार्ड भी जीता. इसके बाद सेना में जाने की तैयारी शुरू कर दी. राहुल ने एसएससी की 5 स्तरीय परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास कर लिया।

राहुल आज सीआरपीएफ सब इंस्पेक्टर बन गए हैं। इसका पूरा श्रेय वो अपने मां-पिताजी को देते हैं। बाड़मेर से 20 किमी दूर आदर्श ढूंढा गांव में रहने वाले राहुल कहते हैं कि हमारे समाज में पढ़ाई को लेकर इतनी जाग्रति नहीं है। सभी लोग ठीक-ठाक कमा लेते हैं। ताकि आजीविका चल सके। ऐसे माहौल के बावजूद मेरे पिताजी ने और मां ने मुझे बड़ा अफसर बनाने का सपना देखा। पिता जलाराम कहते हैं कि गरीब के घर जब खुशियां आ जाएं तभी दिवाली है। बेटे का सिलेक्शन हमारे लिए दिवाली से नहीं है। बेटा अब देश सेवा करेगा इससे बड़ी बात हमारे लिए क्या हो सकती है। एक चूड़ी बेचने वाले परिवार के बच्चे का इस मुकाम पर पहुंचना बड़ी बात है।

उन्होंने कहा कि मुझे याद है जब राहुल सिर्फ डेढ़ माह का था। तब गांव के पास ही टैक्सी का एक्सीडेंट हो गया। हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था और दोनों पैर टूट गए। मुश्किलों का पहाड़ टूट गया। लेकिन पत्नी कमला ने भी हिम्मत नहीं हारी, खुद चूड़ियां व कपड़ा घर-घर बेचकर मजदूरी की। मेरा इलाज भी करवाया। राहुल को प्राइवेट स्कूल में भी भेजा।

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