रांची। ओल्ड पेंशन का पेंच कहीं अटक तो नहीं गया है? …ये सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि पुरानी पेंशन बहाली की सलाह देने के लिए जिस SOP का गठन किया गया था, उस SOP कमेटी की आज तक एक भी बैठक नहीं हो पायी है। कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त विभाग ने अधिसूचना जारी कर राजपत्र में भी प्रकाशन करवाने के लिए भेज दिया था। ऐसे में उम्मीद यही थी कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पुरानी पेंशन को लेकर 15 अगस्त तक की जो मियाद NMOPS की महारैली में मांगी थी, उससे पहले SOP की बैठक होगी और फिर कैबिनेट की बैठक में उस पर मुहर लगेगी, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हो पाया है। ऐसे में प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के मन में संशय की स्थिति बन गयी है।

SOP के चेयरमैन अरूण कुमार सिंह छुट्टी पर

SOP का गठन विकास आयुक्त की अध्यक्षता में की गयी थी। लेकिन विकास आयुक्त सह अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह छुट्टी पर हैं। 12 अगस्त तक उनके छुट्टी पर रहने की वजह से जाहिर है, बमुश्किल से 48 घंटे का वक्त 15 अगस्त के लिए बचेगा, ऐसे में उम्मीद लगता नहीं कि तूफानी रफ्तार में SOP की बैठक भी हो जायेगी और फिर पुरानी पेंशन योजना के प्रारूप को कैबिनेट में एप्रूवल भी मिल जायेगा।

छुट्टी ही छुट्टी है 15 अगस्त तक

जानकारी के मुताबिक इस महीने त्योहार और स्वतंत्रता दिवस की वजह से लगातार छुट्टियां है। राखी के त्योहार के बाद भी 13, 14 और 15 को छुट्टी है। ऐसे में छुट्टी के दिन SOP की बैठक होनी और बैठक हो भी गयी तो कैबिनेट में फाइल को पुटअप करना संभव नहीं दिख रहा है। पिछले दिनों खुले मंच से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 15 अगस्त तक ओल्ड पेंशन की घोषणा की थी। बैठक नहीं होने से मुख्यमंत्री का सचिवालय भी परेशान है, क्योंकि तय मियाद के मुताबिक 15 अगस्त को मुख्यमंत्री को ओल्ड पेंशन का ऐलान करना था। लिहाजा अब सचिवालय कोई बीच का रास्ता निकालने की तैयारी में है। छुट्टी की बात करें तो 13 को शनिवार है, 14 को रविवार और फिर 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस है, मतलब अब वक्त ही नहीं बचा है।

कैबिनेट से हरी झंडी के बाद 1 महीने का वक्त मिला था

15 जुलाई को कैबिनेट ने पुरानी पेंशन को शर्तों के साथ हरी झंडी दी थी। उस लिहाज से 15 अगस्त तक के लिए कमेटी के पास बैठक करने और सिफारिश कैबिनेट में भेजने का पूरा वक्त था, लेकिन इस 1 महीने में एक भी बैठक नहीं हो सकी। लिहाजा अब पुरानी पेंशन का पेंच अटक सा गया है। ऐसे में अभी मुख्यमंत्री सचिवालय चिंता में है कि आखिर इस उलझन को कैसे दूर किया जाये क्योंकि मुख्यमंत्री के घोषणा दांव पर लग गई है।

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