धनबाद। वो कहावत तो आपने भी सुना होगा ना! “अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे”…ऐसा ही कुछ धनबाद के स्वास्थ्य महकमा का है। जहां अपनो को रेबड़ी बांटने की परंपरा सी शुरू हो गयी है। तबादले के लिए मांगी सूची से अपने करीबियों का नाम गायब करना, अपनों को उपकृत करना, ये तो चर्चा में आ चुकी है, लेकिन अब जो खबरें आयी , वो काफी ज्यादा सोचनीय है। दरअसल राज्य सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों के समर्पण और सेवाभाव को प्रदेश स्तर पर सम्मान देने की योजना बनायी थी।

मुख्यमंत्री के हाथों मिलने वाले इस सम्मान के लिए जिले से डाक्टर और पारा मेडिकल स्टाफ की लिस्ट मांगी गयी थी। धनबाद के सिविल सर्जन डॉ आलोक विश्वकर्मा की तरफ से जो स्वास्थ्यकर्मियों को सूची भेजी गयी, वो काफी हैरान करने वाला रहा था। ये बात अलग है कि उन भेजे गये नामों को मुख्यमंत्री के हाथों अवार्ड नहीं मिल पाया, और महज 24 घंटे पहले इसमें बदलाव कर लिया गया। लेकिन सवाल तो अभी भी बना हुआ है कि आखिरकार पुरस्कार के लिए चयनित चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों के उत्कृष्टता के लिए चयन का पैमाना क्या बनाया गया था।

दरअसल डॉक्टर का जो नाम सम्मान के लिए भेजा गया, वो सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ संजीव कुमार प्रसाद है। जिस डाक्टर संजीव कुमार को मुख्यमंत्री के हाथों अवार्ड के लिए सिविल सर्जन डा आलोक विश्वकर्मा ने सिफारिश भेजी थी, वो टीकाकरण के प्रभारी भी है। आंकड़े बताते हैं कि डॉ संजीव कुमार के टीकाकरण जिला प्रभारी रहते जिले में मिजिल्स रूबेला से बच्चों की मौत हुई है। धनबाद में विभाग की लापरवाही से चार बच्चों की जान गयी सो अलग, स्पेशल टीकाकरण का प्रोग्राम दिल्ली टीम की निगरानी में चलाना पड़ा। ऐसे में जिस विभाग पर चार बच्चों की मौत का दाग हो, उसे मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित कराना, क्या उन बच्चों की मौत के साथ मजाक नहीं होता?

यही नहीं पिछले दिनों जब रांची से टीम सदर अस्पताल के निरीक्षण के लिए आयी थी, तो जांच के दौरान सदर अस्पताल में इतंजामों की पोल खुल गयी थी। कहीं जांच मशीन आपरेट नहीं हो रहा था, तो कहीं ड्रेसिंग टेबल फटा-टूटा था। जिसके बाद जांच अधिकारियों ने कड़ी फटकार भी लगायी थी। कुछ दिन पहले धनबाद के सदर अस्पताल में कोरोना काल में दिये गये वेंटिलेटर की अव्यवस्था की खबर भी मीडिया में सुर्खियां बनी थी।

राज्य सरकार ने चिकित्सक और चिकित्साकर्मियों को सम्मान करने का कार्यक्रम इसलिए बनाती है, ताकि वो मानवीयता के लिए मिसाल बने, लेकिन क्या इसी तरह का मिसाल व आदर्श विभाग प्रतिष्ठित चिकित्सा क्षेत्र में प्रस्तुत करना चाहता है। सवाल बड़ा भी है और सोचनीय भी।

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