HPBL की कलम से....रांची । पूरा देश जहां 74 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। पूरा देश, हर चौक चौराहे तिरंगामय हो चुकी है। वहीं राजधानी रांची में राजभवन के समक्ष 21 अनशन कारी के साथ राज्य भर के स्वास्थ्य कर्मी अपनी मांगों के समर्थन में भूखे प्यासे बैठे हैं। यह सरकार की सोच को धन्यवाद दें, या राजनीति की चाल कहे, कि जिनके दरवाजे पर मरने पर मजबूर अनुबंध कर्मी अन्न जल त्याग चुके हैं, आज उनके बगल से भारी भरकम काफिला के साथ महामहिम राज्यपाल और मुख्यमंत्री को तिरंगा लहराने प्रस्थान कर गए। इस तिरंगे की लाज की बचाने में जितने भी कुर्बानी को याद करें वह कम पड़ जाती है। परंतु वह कुर्बानी थी पूरे देश की जनता के लिए थी और अनुबंध कर्मियों की कुर्बानी पूरे स्वास्थ्य विभाग में काम कर रहे कर्मियों के लिए है।

इसी अनशन के बल पर महात्मा गांधी जैसे देशभक्तों ने अंग्रेजों को हिला कर रख दिया था और उनको मजबूरन घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। परंतु आज अपने ही प्रजातांत्रिक देश और इस राज्य की जनता की चुनी हुई सरकारों के बीच भूखे मरने पर मजबूर अनुबंध कर्मी की सुनने वाला कोई नहीं । राज्य के मुखिया सीएम हेमंत सोरेन दुमका के लिए प्रस्थान कर चुके हैं और दुमका में तिरंगा फहराया। परंतु उस तिरंगे को ना जाने कितने देश भक्तों ने अपने लहू से सींचा है।

उस तिरंगे की लाज रखने के लिए कितने देशभक्तों ने अपनी कुर्बानी दी थी। आज उसी कुर्बानी को स्वास्थ्य कर्मियों ने याद करते हुए अनुबंध की गुलामी की दूर करने की आमरण अनशन पर बैठे हैं। इस अनशन जैसे आंदोलन से जहां अंग्रेजो का दिल पसीज जाता है वही अपने ही राज्य के मुख्यमंत्री का दिल नहीं पसीजा और बिना किसी अनशन कारी से उनकी मांग पर बात किए यूं ही मरने छोड़ दिया।

अनुबंध कर्मियों का आंदोलन राज्य की क्या दिशा देगा ये तो देखने वाली बात होगी परंतु फिलहाल इनका जोश और जज्बा देखने लायक है। हर दिन जिलों से स्वास्थ्य कर्मी धरना स्थल पहुंच रहे हैं। राज्य भर की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है। हरेक जिलों में सिविल सर्जन कार्यालय में धरना प्रदर्शन का दौर जारी है। पर सरकार है की जागती नहीं।

ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन ने अपने राज्य पदाधिकारीयों को अलग अलग जिलों पर नजर रखने की जिम्मेवारी सौंपी है। वर्ष 2014 में 16 दिनों के आमरण अनशन कर सरकार को नियमितीकरण करने पर विवश कर दिया था। आज फिर से उसी आंदोलन की आगाज कर दी गई है। एसोसिएशन के पदाधिकारी हर दिन धरना स्थल पर जाकर इनका हौसला अफजाई कर रहे है। AJPMA के पदाधिकारी ने सरकार को चेतावनी दे डाली की यदि अनशन कारी के जान माल की क्षति होती है तो फिर से 2014 के अनशन का इतिहास एसोसिएशन दोहराने से भी पीछे नहीं हटेगा।

पिछले 11 दिन से अपने आंदोलन में डटे अनुबंध कर्मी राजभवन के मुख्य गेट पर टकटकी लगाए बैठे थे कि शायद मोराहाबादी जाने से पहले हम कर्मियों की बात को सुनते, हमारे मांगों को पूरा करने की दिशा में कोई पहल उठाते परंतु शायद उनकी उम्मीदों पर धक्का तब पहुंचा जब भारी-भरकम काफिले के साथ राज्यपाल भी मोराहाबादी की ओर प्रस्थान कर गए।

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