गोविंदपुर (धनबाद) सोमवार की शाम आवारा कुत्तों की झुंड ने मासूम बच्ची को नोंच नोंच कर मार डाला। यह दर्दनाक घटना गोविंदपुर के द्वारिका सिटी की है। करीब 1 साल पूर्व हीं इनका परिवार द्वारिका सिटी में जमीन खरीद कर मकान बनाया था। कुत्ते का शिकार बने मासूम अन्या सिंह मुकेश कुमार सिंह की बेटी है।

कैसे हुई घटना

अन्या की मां विभा सिंह पड़ोस के रहने वाले दंत चिकित्सक के घर पूजा सामग्री की लिस्ट लेकर भेजा था। अन्या रास्ते में ही थी इसी बीच सुनसान जगह पर मौका देख आवारा कुत्तों के झुंड ने उस पर हमला कर दिया। अचानक कुत्तों के झुंड से हुए हमले में अन्या खुद को बचा नहीं पाई और आवारा कुत्तों के झुंड ने नोंच नोंच कर मार डाला। बच्चे को अकेला देख कुत्तों ने उनका गर्दन पकड़ कर जमीन पर पटक दिया इसके बाद सभी कुत्तों ने उन पर ताबड़तोड़ हमला किया जिससे मौके पर ही बच्ची की मौत हो गई।

बच्ची के पिता मुकेश कुमार सिंह दिल्ली में एक निजी कंपनी में एरिया मैनेजर है। मासूम बच्चे अन्या झारखंड पब्लिक स्कूल बलियापुर में कक्षा एक में पढ़ती थी। बिल्कुल मृदुभाषी कन्या के बारे में जिसने भी ये घटना सुनी दांतों तले उंगली दबा ली। कुत्तों के बढ़ती जनसंख्या के रोकथाम करने की मांग करने लगे।

कुत्तों की नसबंदी के बाद भी घट नहीं रही संख्या

नगर निगम द्वारा शहर की आवारा कुत्तों की नसबंदी व बंध्याकरण किया जा रहा है। इसके बावजूद आवारा कुत्तों से राहत नहीं मिल रही है। निगम ने स्नेह एनिमल वेलफेयर नामक एनजीओ को आवारा कुत्तों पर लगाम कसने का काम सौंपा है। इस संस्था की टीम कुत्तों को पकड़ रही है, वहीं दूसरी टीम इसका ऑपरेशन करती है। कुत्तों का ऑपरेशन करने वाली टीम ने बताया कि हर दिन करीब 30- 40 कुत्तों का बंध्याकरण और नसबंदी की जाती है। कुत्तों की नसबंदी पर करीब ₹2000 खर्च होते हैं। आवारा कुत्तों के साथ निजी कुत्तों की भी नसबंदी कराई जा सकती है। इसका पूरा खर्च सरकार उठाती है।

शहर में करीब 30,000 से अधिक स्ट्रीट को डॉग

स्नेह संस्था के एक सर्वे के अनुसार कुल आबादी का 2% स्ट्रीट डॉग पाया जाता है। इस हिसाब से धनबाद में लगभग 30000 स्ट्रीट डॉग है। अगर नियमित रूप से उनकी नसबंदी होगी तो इनकी संख्या नहीं बढ़ेगी। हर दिन 100 से अधिक लोग डॉग बाइट का शिकार होते हैं। कुत्ता काटने की घटना लगातार बढ़ रही है। हर हॉस्पिटल में एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने की संख्या में इजाफा हो रहा है। धनबाद के मेडिकल कॉलेज में 70-80 लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन हर दिन लगवाने आते हैं । जिसमें 50 से 60 नए मरीज और बाकी पुराने मरीज होते हैं। करीब इतनी ही संख्या में लोग प्राइवेट से या फिर सीएससी स्तर पर एंटी रेबीज वैक्सीन लगाते हैं। अस्पताल में कई बार इंजेक्शन लगवाने वालों की संख्या 100 के पार हो जाती है।

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