रांची। सीता सोरेन ने मंगलवार को JMM के14 साल के साथ को छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर लिया। भाजपा में शामिल होने के बाद जिस तरह से झामुमो पर सीता सोरेन ने निशाना साधा, उसका जवाब अब देवरानी कल्पना सोरेन ने दिया है। भाजपा के मंच से सीता सोरेन ने कहा था कि उनके पति और ससुर ने मिलकर पार्टी खड़ी की थी, लेकिन पति के निधन के बाद उन्हें तो तवज्जो मिलनी थी, वो नहीं मिल पायी।

अब सीता सोरेन के बयान पर कल्पना सोरेन ने सोशल मीडिया X पर हेमंत सोरेन और दुर्गा सोरेन के रिश्ते के बारे पूरी बातें लिखी है। दुर्गा सोरेन और हेमंत सोरेन की एक तस्वीर शेयर करते हुए कल्पना सोरेन ने लिखा कि हेमंत सोरेन ने राजनीति को कभी नहीं चुना बल्कि राजनीति ने उन्हें चुना है। कल्पना ने लिखा, “जिन्होंने आर्किटेक्ट बनने की ठानी थी उनके ऊपर- अब झामुमो, आदरणीय बाबा और स्व दुर्गा दा की विरासत तथा संघर्ष को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी थी।”

हेमन्त जी के लिए स्वर्गीय दुर्गा दा, सिर्फ बड़े भाई नहीं बल्कि पिता तुल्य अभिभावक के रूप में रहे। 2006 में ब्याह के उपरांत इस बलिदानी परिवार का हिस्सा बनने के बाद मैंने हेमन्त जी का अपने बड़े भाई के प्रति आदर तथा समर्पण और स्वर्गीय दुर्गा दा का हेमन्त जी के प्रति प्यार देखा। हेमन्त जी राजनीति में नहीं आना चाहते थे परंतु दुर्गा दादा की असामयिक मृत्यु और आदरणीय बाबा के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें राजनीति के क्षेत्र में आना पड़ा। हेमन्त जी ने राजनीति को नहीं बल्कि राजनीति ने हेमन्त जी को चुन लिया।

जिन्होंने आर्किटेक्ट बनने की ठानी थी उनके ऊपर – अब झामुमो, आदरणीय बाबा और स्व दुर्गा दा की विरासत तथा संघर्ष को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी थी। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का जन्म समाजवाद और वामपंथी विचारधारा के समन्वय से हुआ था। झामुमो आज झारखण्ड में आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों समेत सभी गरीबों, वंचितों और शोषितों की विश्वसनीय आवाज बन कर आगे बढ़ रही है।

आदरणीय बाबा एवं स्व दुर्गा दा के संघर्षों और जो लड़ाई उन्होंने पूंजीपतियों-सामंतवादियों के खिलाफ लड़ी थी उन्हीं ताकतों से लड़ते हुए आज हेमन्त जी जेल चले गये। वे झुके नहीं। उन्होंने एक झारखण्डी की तरह लड़ने का रास्ता चुना। वैसे भी हमारे आदिवासी समाज ने कभी पीठ दिखाकर, समझौता कर, आगे बढ़ना सीखा ही नहीं है। झारखण्डी के DNA में ही नहीं है झुक जाना। सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है सतत संघर्ष ही…

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