नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट से पूर्व मुख्यमंत्री व JMM सुप्रीमो शिबू सोरेन को झटका लगा है। हाईकोर्ट ने शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने सोरेन के वकील द्वारा प्रस्तुत तर्क को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि पूरी शिकायत राजनीति से प्रेरित थी और लोकपाल अनिवार्य रूप से जांच का आदेश देगा।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत के आधार पर शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल ने जांच शुरू की थी। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में शिबू सोरेन ने याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने लोकपाल की कार्यवाही को चुनौती देने वाली सोरेन की याचिका और शिकायत को अपरिपक्व माना और यह तय करने में लोकपाल की स्वतंत्रता पर जोर दिया कि जांच के साथ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सामग्री है या नहीं।

अगस्त 2020 की शिकायत में भाजपा के लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों ने सरकारी खजाने का दुरुपयोग करके भारी संपत्ति और संपत्ति अर्जित की है और घोर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।अदालत ने लोकपाल की स्वायत्तता की पुष्टि करते हुए कहा कि राजनीतिक प्रभाव के आरोपों को स्वीकार नहीं किया जा सकता और लोकपाल स्वतंत्र रूप से मामले की जांच करके यह तय करेगा कि जांच की जरूरत है या नहीं।

न्यायमूर्ति प्रसाद ने इस बात पर प्रकाश डाला कि लोकपाल ने जांच की जरूरत के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा प्रदान की गई सामग्री पर अभी तक अपना दिमाग नहीं लगाया है।सोरेन ने लोकपाल की कार्यवाही को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।उच्च न्यायालय ने पहले सितंबर 2022 में लोकपाल की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।

लोकपाल ने कहा कि सोरेन की याचिका गलत थी और मौलिक अधिकारों का हनन नहीं हुआ।इसने शुरुआती जांच का बचाव करते हुए कहा कि शिकायत में उल्लिखित तथ्यों का पता लगाने के लिए यह उचित कार्रवाई थी। लोकपाल ने कहा कि मामला निर्णय के लिए खुला है, जिसमें सीमा का मुद्दा भी शामिल है।

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