सचिवालय न्यूज। वर्ष 2014 में सभी सचिवालय सहायक 4200 GP के पदों को छोड़ते हुए 4600 GP के पद का चयन किया था। विधि विभाग के संतोष सिंह द्वारा असिस्टेंट के पद को ASO करने हेतु केंद्र सरकार के श्री परमिंदर सिंह,जो केंद्र सरकार में पदाधिकारी थे, द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र उपलब्ध कराया गया। उसके बाद कर्मियों ने 2014 से ही जल संसाधन विभाग के कर्मियों के सहयोग से सिंचाई भवन में बैठक शुरू किए।

बताया गया की 2014 में जब हम लोगों ने पदनाम परिवर्तन पर काम करना शुरू किया था तब इस बात पर एकरूपता नहीं थी की पदनाम समीक्षा अधिकारी किया जाए अथवा सहायक प्रशाखा पदाधिकारी। उत्तर प्रदेश से प्रभावित मित्र श्री मनीष श्रीवास्तव, श्री आंजनेय मिश्रा आदि समीक्षा पदाधिकारी रखने पर जोर देते थे। सिंचाई भवन कैंटीन के बगल में कई दौर की बैठकों के बाद श्री संजीव तिवारी द्वारा यह सुझाव दिया गया कि पटना उच्च न्यायालय में आंतरिक पत्राचार में सहायक प्रशाखा पदाधिकारी प्रयोग किया गया है, जिस पर माननीय उच्च न्यायालय की भी सहमति है; इसलिए वही नाम रखा जाना अधिक उचित रहेगा।


आपसी एकता से वर्ष 2015 में विधि विभाग तथा योजना एवम् विकास विभाग के मित्रों ने इस कार्य का बीड़ा उठाया और अधिकांश विभाग के लगभग 666 मित्रों के हस्ताक्षर से पहला आवेदन समर्पित किया गया।
फिर संघ को हमलोगों ने इस मुद्दे को उठाने के लिए मजबूर कर दिया।


शुरुआती दौर में इस मुद्दे पर अपने सीनियर्स के साथ बात करने में काफी समस्या आती थी, कोई भी सीनियर पदनाम के मुद्दे को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं थे। वे हमें बार-बार कहते थे कि नाम में क्या रखा है, वेतन बढ़ाने अथवा राजपत्रित की डिमांड करने पर ज्यादा ध्यान दो। श्री हिमेशवर सिंह के द्वारा व्यक्तिगत आवेदन देने पर कारण पृच्छा भी की गई थी

तत्कालीन महासचिव श्री अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व में कई दौर की बैठकें प्रधान सचिव, अपर मुख्य सचिव के यहां हुई। बाद के समय में एक बार तो संघ के नेतृत्वकर्ता श्री अशोक सिंह सर एवं श्री विनोद कुमार सर के नेतृत्व में उच्चस्तरीय वार्ता में यह आश्वासन भी दिया गया की अगली कैबिनेट में पदनाम परिवर्तित हो जाएगा, परंतु परिणाम शून्य ही रहा।

वित्त विभाग में संचिका जाने के उपरांत वित्त उपायुक्त से मिलकर अपने पक्ष में तर्क रखा गया। फलस्वरूप वित्त विभाग के द्वारा उच्च स्तरीय कमिटी के गठन का सुझाव दिया गया।
कमिटी के एक सदस्य को कैसे हमलोगों ने आवश्यक तथ्य और प्रमाण उपलब्ध कराए जो उस बैठक में तुरूप का पत्ता साबित हुआ और कुछ अवरोध के बाद निर्णय हमलोगों के पक्ष में हुआ। कमिटी के उस सदस्य को आज हृदय तल से और साथ ही अपने सेवा संवर्ग के सभी सदस्यों की ओर से भी आभार व्यक्त करते हैं। काफी प्रमाण के वावजूद संघ द्वारा काफी संघर्ष किया गया। कभी काला बिल्ला, विधान मंडल में प्रश्न, याचिका, ध्यानाकर्षण आदि के माध्यम से संघर्ष जारी रहा।
फिर वर्तमान संघ के अध्यक्ष श्री विनोद कुमार एवम् महासचिव श्री प्रशांत कुमार के कार्य कोभली सराहा। श्री सत्यजीत पाठक के द्वारा कल्पित संवाद पत्रिका एक ब्रह्मास्त्र बन गई,साथ ही सीएम सचिवालय में पदस्थापित मित्रों (राजीव रंजन जी एवम् राजेश जी) की अचूक रणनीति ने इस कार्य में पूर्णाहूति का कार्य किया।

संघीय पदाधिकारी ने कहा की पदनाम परिवर्तन की अधिसूचना देखकर काफी संतोष हो रहा है कि 08 वर्षों पूर्व लगाया गया वृक्ष से आज वांछित फल प्राप्त हुआ और इस पूरे मामले का श्रेय अपने वरीय, सहकर्मियों तथा अनुजों के साथ बांटते और उन्हें सौंपते हुए बहुत खुशी हो रही है। मुख्यमंत्री को संघ की तरफ से कोटिश धन्यवाद देते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है कि अब हम सबका मूल कोटि अब सहायक प्रशाखा पदाधिकारी है।

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