रांची। IAS छवि रंजन की डिफाल्ट जमानत पर अब सुप्रीम कोर्ट में 23 फरवरी को सुनवाई होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से इस मामले में जवाब मांगा है। लैंड स्कैम मामले में फंसे रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन ने बेल के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगायी है। बुधवार को इस मामले में सुनवाई हुई, सुनवाई के बाद ईडी को नोटिस जारी कर कोर्ट में जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की कोर्ट में आईएएस की जमानत पर सुनवाई हुई, जिसमें आईएएस की तरफ से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल व अभिषेक चौधरी ने दलील पेश की। प्रारंभिक सुनवाई के बाद ईडी से कोर्ट ने जवाब दाखिल करने को कहा है। आपको बता दें कि छवि रंजन फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं और उन्हें डिफॉल्ट बेल देने से रांची ED की स्पेशल कोर्ट और झारखंड हाईकोर्ट इंकार कर चुका है। अब सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत पर 23 फरवरी को सुनवाई होगी।

आपको बता दें कि हाईकोर्ट से इंकार के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर जमानत का अनुरोध किया गया है। बता दें कि सेना की जमीन घोटाला मामले में रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन और बड़गाई के राजस्व कर्मचारी सहित 18 लोगों के 22 ठिकानों पर 13 अप्रैल को ईडी ने छापेमारी की थी। इस दौरान जमीन के फर्जी डीड एवं अन्य कागजात ईडी को मिले थे। छवि रंजन को मामले में संलिप्तता के आधार पर गिरफ्तार किया गया था।

हाईकोर्ट में डिफाल्ट जमानत पर हाईकोर्ट में ईडी की ओर से कहा गया कि जिस मामले में छवि रंजन को गिरफ्तार किया गया है, ईडी ने जांच पूरी करते हुए वर्ष 2022 में ही आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। जिस पर ईडी कोर्ट ने संज्ञान भी ले लिया है।दूसरे मामले में भी जांच पूरी कर ली गई है। ऐसे में सही समय पर आरोप पत्र दाखिल नहीं करने का हवाला देकर प्रार्थी को डिफाॅल्ट जमानत नहीं दी जा सकती है। इस दलील के बाद ही हाईकोर्ट से जमानत नहीं मिली थी।

क्या होता है डिफाल्ट बेल


यह जमानत का अधिकार है जो पुलिस द्वारा न्यायिक हिरासत में लिये गए किसी व्यक्ति के संबंध में एक निर्दिष्ट अवधि के अंदर जाँच पूरी करने में विफल होने पर प्राप्त होता है। इसे वैधानिक जमानत के रूप में भी जाना जाता है।यह दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 167 (2) में निहित है। यदि पुलिस एक निर्दिष्ट अवधि के अंदर जाँच पूरी करने में असमर्थ रहता है, तो न्यायिक हिरासत में व्यक्ति को जमानत मांगने का अधिकार है।

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