नई दिल्ली भारतीय रेलवे एक ऐसा नाम जिसके बिना विकास की परिकल्पना बेमानी साबित होती है। पर रेलवे में काम करने वाले कर्मचारी खुद परेशान रहें तो उनकी समस्या की ओर सरकार का ध्यान देना लाजमी है। इसकी सबसे बड़ी वजह घर से दूर तैनाती। आज रेलवे में नौकरी पाना युवाओं के बीच आकर्षण का केंद्र बिंदु है। रेलवे की नौकरी पाने के लिए बिहार, यूपी जैसे राज्यों के युवा काफी वर्षों तक मेहनत करते हैं।

रेलवे में करीब 13 लाख कर्मचारी काम करते हैं। जिसमें बुकिंग क्लर्क, रिजर्वेशन क्लर्क, टीटी,गार्ड, लोको पायलट, टेक्निशियन, खलासी, गैंगमैन, ट्रैक मैन, गेट मैन, आदि की नौकरी का युवाओं के बीच बहुत ही आकर्षण है। नौकरी को पाने के लिए विद्यार्थी जी जान से लगे रहते हैं। जब भी नियुक्ति का विज्ञापन निकलता है या परीक्षा की तिथि आती है, सभी रूट की ट्रेन विद्यार्थियों से फूल हो जाती है। मसलन रेलवे को स्पेशल ट्रेन विद्यार्थियों के लिए चलानी पड़ती है।

रेल मंत्रालय

क्या है कर्मचारियों के परेशानी की वजह

रेलवे में नौकरी पाने वाले को घर के आसपास नौकरी नहीं मिल पाती है। उन्हें घर के काफी दूर रहना पड़ता है। जिससे वह घर के आसपास क्षेत्र में ट्रांसफर करवाने की जुगत में लग जाते हैं। लेकिन ऐसा आसानी से नहीं हो पाता, इसके लिए लंबी प्रक्रिया थी जिसमें आवेदन देने के बाद भी ट्रांसफर के समाधान की दिशा में कोई कार्यवाही नहीं हो पाती थी।

रेल मंत्रालय का ट्रांसफर आदेश

क्या होगा नए नियम में

रेलवे बोर्ड ने एक ऐसी पॉलिसी बनाई है जिसमें रेलवे के करीब 13 लाख कर्मचारियों को ट्रांसफर कराने में आजादी मिल जाएगी। इसे 15 अगस्त 2022 से देशभर में लागू कर दिया गया। रेलवे में ट्रांसफर प्रक्रिया बेहद पारदर्शी हो जाएगी। स्टाफ के ट्रांसफर के लिए एक मॉड्यूल तैयार किया जाएगा।

क्या है ट्रांसफर मॉड्यूल

रेलवे के सॉफ्टवेयर बनाने वाला संगठन सेंटर फॉर रेलवे इनफॉरमेशन सिस्टम(CRIS) ने एक कर्मचारियों के प्रबंधन के लिए एक मॉड्यूल बनाया है। इसका नाम एचआरएमएस (HRMS) दिया गया है। रेलवे बोर्ड ने फैसला लिया है की इंटर जोनल और इंटर डिविजनल ट्रांसफर के सभी आवेदन अब इसी पर फाइल होंगे। यही नहीं, पहले से भी जिन स्टाफ का इंटर डिवीजन ट्रांसफर का आवेदन लंबित होगा, उसे भी इसी पर अपलोड कर दिया जाएगा। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि इस मॉड्यूल को लागू करने से ट्रांसफर में पारदर्शिता आ जाएगी।

रेलवे कर्मचारी फाइल फोटो

डिवीजन के ट्रांसफर में भी होगी आसान

रेलवे के नियमानुसार रेलवे के डिवीजन में संवेदनशील पोस्ट पर काम करने वाले अधिकांश स्टाफ का 4 या 2 वर्ष में ट्रांसफर होता है। कर्मियों की शिकायत रहती है कि नियमित ट्रांसफर के दौरान अधिकारी या ऑफिस में काम करने वाले स्टाफ कुछ लोगों के साथ भेदभाव करते हैं। वह नियम के विरुद्ध स्टाफ को अनचाही जगह पर ट्रांसफर कर देते हैं। कुछ स्टाफ को अनचाहे जगह पर, कुछ का तो हर साल ट्रांसफर किया जाता है। जबकि मजबूत पकड़ वाले स्टाफ का लंबे समय तक एक ही जगह जमे रहते हैं। अधिकारियों का कहना है कि ऐसा अब नहीं होगा।

अब एचआरएमएस से ही होगा ट्रांसफर

रेल अधिकारी का कहना है अब किसी स्टाफ का ट्रांसफर टाइम आने पर वह एचआरएमएस में ही ऑनलाइन आवेदन कर सकेगा। यदि एक ही स्थान के लिए 2 आवेदन आएंगे तो पहले आवेदन करने वाले को स्थानांतरण मिलेगा। अन्य तरह की अनियमितता भी नहीं बरती जाएगी। कर्मचारी के आवेदन पत्र पर सुपरवाइजर, ब्रांच अधिकारी तथा कार्मिक विभाग के अधिकारी अपनी राय दे सकते हैं। लेकिन तबादला पर अंतिम निर्णय डीआरएम या एडीआरएम ही लेंगे।

ट्रांसफर मॉड्यूल क्यों किया गया लागू

रेलवे में ट्रांसफर कई तरह के होते हैं। कारखाने में स्टाफ लेवल का नियमित ट्रांसफर आमतौर पर वर्कशॉप के अंदर ही होता है। यदि कोई स्टाफ डिवीजन में तैनात है तो उसका डिवीजन में ही ट्रांसफर होता है। इस ट्रांसफर में ज्यादा दिक्कत नहीं होती। एक दो बार डिवीजन ऑफिस का चक्कर लगाने से काम हो जाता है। यदि कोई स्टाफ इंटर डिवीजन या इंटर जोनल ट्रांसफर चाहता है, तो बड़ी पापड़ बेलनी होती है। यदि उन्हें म्यूच्यूअल ट्रांसफर करने वाला कोई स्टाफ मिल गया तो आसानी से ट्रांसफर हो जाता है। लेकिन यदि ऐसा कोई नहीं मिला तो फिर बेहद दिक्कत होती है। रेलवे स्टाफ की इसी दिक्कत को दूर करने के लिए रेल मंत्रालय ने आज से एक ट्रांसफर मॉड्यूल लागू किया है।

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