बालासोर। उड़ीसा में हुए ट्रेन हादसे ने हर किसी को झकझोर दिया है। हादसे में 275 लोगों की मौत हुई है। हादसे के बाद हर कोई उस भयावह मंजर को याद कर गम में डूबा है। 800 से ज्यादा मरीजों का अभी भी इलाज चल रहा है। इधर मरीजों से अस्पताल भरे हैं, तो शवों से पोस्टमार्टम हाउस भी भर गया है। आलम ये है कि स्कूल में शव को रखकर अस्थायी मुर्दाघर बनाया गाय है। शवों की संख्या को देखते हुए स्कूलों के अलावे कोल्ड स्टोरेज को भी मुर्दाघर में तब्दील कर दिया गया है।

जानकारी के मुताबिक ओडिशा सरकार ने 187 शवों को जिला मुख्यालय शहर बालासोर से भुवनेश्वर शिफ्ट किया था। यहां भी जगह की कमी मुर्दाघर प्रशासन के लिए स्थिति को कठिन बना रही है। इनमें से 110 शवों को एम्स भुवनेश्वर में रखा गया है। वहीं बचे हुए शवों को कैपिटल अस्पताल, अमरी अस्पताल, सम अस्पताल आदि में रखा गया है। हादसे के बाद परिजन अपने-अपने लोगों की तलाशों में अस्पताल और मुर्दाघरों के चक्कर लगा रहे हैं।

दर्जनों शव अभी ऐसे हैं, जिनकी पहचान नहीं हो सकी है। बालासोर के बाहाना हाई स्कूल में भी शवों को रखा गया है। यहां जिन कक्षाओं में छात्र बैठा करते हैं, उनमें शव रखे हुए हैं। जिन शवों को पहचान हो जा रही है, उन्हें उनके परिजनों को सौंपा जा रहा है। शवों की तस्वीरें भी जारी की गई हैं, जिन्हें देखकर लोग अपनों की पहचान कर रहे हैं।

एम्स भुवनेश्वर में अधिकतम 40 शवों को रखने की सुविधा है, लेकिन 110 शवों को रखा गया है। शवों की पहचान होने तक उन्हें सुरक्षित रखने के लिए ताबूत, बर्फ और फॉर्मेलिन रसायन खरीदे हैं। गर्मी के इस मौसम में शवों को रखना वास्तव में मुश्किल है। इधर कई शवों को कोल्ड स्टोरेज व्यवस्था में रखा गया है। प्रशासन भी मान रहा है कि शवों की पहचान एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि पीड़ित विभिन्न राज्यों से थे। शवों के पहचान के लिए मृत यात्रियों की सूची और तस्वीरें भी वेबसाइटों पर अपलोड की जाती हैं।

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