दुमका: फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर सरकारी खजाने को चूना लगाने वाले पारा शिक्षकों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है। इसकी शुरुआत दुमका से हुई है, जहां 3 कथित पारा शिक्षकों पर विभाग की तरफ से एफआईआर दर्ज कराया गया है। पारा शिक्षकों पर हुई इस कार्रवाई के बाद फर्जीवाडा कर नौकरी करने वाले अन्य पारा शिक्षकों में भी हड़कंप मचा हुआ है।

आपको बता दें कि कई पारा शिक्षक ऐसे थे, जिन्होंने या तो अपना दस्तावेज परीक्षण नहीं कराया या फिर कुछ ऐसे भी पारा शिक्षक थे जिन्होंने दस्तावेज मांगे जाने पर अपना इस्तीफा भेज दिया था। विभाग ये मान रहा है कि ऐसे शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे थे। लिहाजा इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का आदेश जारी हो सकता है।

3 पारा शिक्षकों के खिलाफ FIR

जानकारी के मुताबिक जिन शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है, वो लगभग 10 से 15 साल तक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही नौकरी कर रहे थे। शिकारीपाड़ा के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी नयन कुमार हेरेंज ने इस बाबत प्राथमिकी थाने में दर्ज कराई है। शिकारीपाड़ा के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी ने थाने में जो आवेदन दिया है, उसके अनुसार जिला शिक्षा अधीक्षक की ओर से पारा शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच करने का आदेश मिला था, जांच के दौरान 3 पारा शिक्षक का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। तीनों ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर पारा शिक्षकों की नौकरी प्राप्त की थी।

जिन शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है,उनमें उत्क्रमित मध्य विद्यालय छाप छातुपाड़ा के शिक्षक मंगल टूडू है। मंगल टूडू 2003 से ही पारा शिक्षक के तौर पर काम कर रहे थे। उन्होंने जो दस्तावेज नौकरी के वक्त दिया था वह प्रमाण पत्र जांच के दौरान फर्जी पाया गया। वही, फरवरी 2007 से नौकरी कर रहे हरियाल राय उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय सालबोना में पदस्थ थे, उनका भी प्रमाण पत्र जाली पाया गया है। वही तुलसी मरांडी उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय लेडवाकेंद्र में पदस्थ थी। उनका भी प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। जिन 3 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है,उनकी वेतन रिकवरी का भी आदेश दिया गया है।

इस तरह की कारवाई से शिक्षा विभाग में हड़कंप है।

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