Mokshada Ekadashi । साल की आखिरी एकादशी आने वाली है। दिसंबर के साथ ही यह वर्ष भी समाप्त हो जायेगा। मार्गशीर्ष माह में आने वाली इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) कहते हैं। इसे बैंकुठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसे मोक्ष प्राप्ति का दिन कहा जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. इस दिन पूजा उपासना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

22 या 23 दिसंबर कब है मोक्षदा एकादशी
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 दिसंबर 2023 दिन शुक्रवार को सुबह 8 बजकर 16 मिनट से लग जाएगी। उदया तिथि के अनुसार 22 दिसंबर 2023 दिन शुक्रवार को मोक्षदा एकादशी का व्रत स्मार्त यानी ग्रहस्थ लोगों के लिए रहेगा। वहीं गौण मोक्षदा एकादशी का व्रत वैष्णव संप्रदाय के अंतर्गत आने वाले साधु-संतो के लिए यह 23 दिसंबर 2023 को मान्य होगा।

मोक्षदा एकादशी के व्रत का पारण समय
• मोक्षदा एकादशी व्रत खोलने का समय – 23 दिसंबर 2023 दिन शनिवार दोपहर 1 बजकर 22 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 26 मिनट तक।
• गौण एकादशी व्रत खोलने का समय – 24 दिसंबर 2023 दिन रविवार सुबह 7 बजकर 11 मिनट से लेकर 9 बजकर 15 मिनट तक।

मोक्षदा एकादशी तिथि कब से कब तक
• एकादशी तिथि प्रारंभ- 22 दिसंबर 2023 दिन शुक्रवार सुबह 8 बजकर 16 मिनट से शुरू।
• एकादशी तिथि समापन- 23 दिसंबर 2023 दिन शनिवार सुबह 7 बजकर 11 मिनट पर सामाप्ति।

मोक्षदा एकादशी व्रत महत्व
शास्त्रों के अनुसार जो लोग इस दिन पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति भाव से व्रत रख कर भगवान नारायण की उपासना करते हैं। उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसा भी माना जाता है इस दिन श्री हरि की पूजा करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्त होती है। इसी के साथ यह तिथि व्रत रखने वालों के लिए मोक्ष का द्वार खोलती है। इस दिन एकादशी का व्रत रखने से जीवन के समस्त कष्ट मिट जाते हैं और अंत में श्री हिर का बैकुंठ धाम प्राप्त होता है। इसी के साथ श्रद्धापूर्वक व्रत रखने वालों को जीवन परियंत सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मोक्षदा एकादशी के नियम
मोक्षदा एकादशी से एक दिन पहले की शाम सूर्यास्त के बाद भोजन न करें. रात में भगवान का ध्यान करके ही सोएं या मंत्र जाप करके सोएं. एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो मन शांत और स्थिर रखें. गुस्से या बदले की भावना मन में ना लाएं. इस दिन भूलकर भी इस दिन किसी की बुराई ना करें।
मोक्षदा एकादशी के दिन भी भोजन ग्रहण न करें. शाम की पूजा के बाद फल खा सकते हैं. मोक्षदा एकादशी का व्रत न भी रखें तो कम से कम चावल से परहेज करें. इस दिन रात के समय जागरण जरूर करें. भजन-कीर्तन करें. फिर द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद ही खाना खाएं।

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