Know who is Madhavi Lata: हैदराबाद का चुनाव इन दिनों भाजपा बनाम AIMIM के बजाय माधवी लता बनाम असदुद्दीन ओवैसी बन गया है। ओवैसी सल्तनत के चार दशक के सम्राज्य के खिलाफ माधवी भाजपा के लिए तुरुप का इक्का होगी या नहीं ? ये तो 4 जून को पता चलेगा, लेकिन माधवी की इंट्री से हैदरा का सियासी पारा चढ़ गया है। जानकार तो ये बताते हैं कि माधवी लता की उम्मीदवारी ने ओवैशी की मुश्किलें बढ़ा दी है। साल 2024 में भी यदि परिणाम नहीं बदला तो यह उनकी लगातार पांचवी जीत होगी। पिछले दो चुनावों से भाजपा दमदारी से लड़ रही है, मगर हार का अंतर कम नहीं कर पा रही। इस बार उम्मीद के साथ माधवी को उतारा है। चेहरा नया है, लेकिन पहचान पुरानी।

हैदराबाद सीट पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 49 वर्षीय माधवी लता को चुनाव मैदान उतारा है। मुस्लिमों की आबादी लगभग 59 प्रतिशत है। हिंदू 35 प्रतिशत और शेष अन्य हैं। 1984 में पहली जीत के बाद से ही ओवैसी के वोट में वृद्धि होती रही है। 2019 में उन्हें 59 प्रतिशत वोट मिले थे। भाजपा के भगवंत राव को 2.82 लाख वोटों से मात दी थी। इस बड़े फासले को पाटना आसान नहीं। आइये जानते हैं कि आखिर कौन है माधवी लता।

मुस्लिम इलाकों में माधवी का हिंदुत्व कार्ड

माधवी लता पेशे से कारोबारी होने के साथ समाजसेवी भी हैं और वह लंबे समय से इस मुस्लिम-बहुल पुराने शहर में सक्रिय हैं। ऐसे में इस बार ओवैसी को माधवी से जोरदार चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। हैदराबाद की यह सीट वर्ष 1984 से ही एआईएमआईएम के पास रही है। पहले सलाहुद्दीन औवेसी और फिर उनके बेटे असदुद्दीन औवेसी यहां से चुनाव जीतते रहे हैं। चार बार के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने 2019 में बीजेपी के भगवंत राव को 2.5 लाख से अधिक वोटों से हराया था, हालांकि इस बार बीजेपी नेता ओवैसी से यह सीट छीनने को लेकर आश्वस्त हैं। माधवी प्रखर हिंदू नेता के साथ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती हैं। गौशाला चलाती हैं। स्लम बस्तियों की मुस्लिम महिलाओं के सुख-दुख में खड़ी रहती हैं। आर्थिक सहायता दिलाती हैं। सनातन की प्रखर वक्ता हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं।

वैंकेया नायडू भी हार चुके हैं हैदराबाद से

एआईएमआईएम ने 1984 के बाद से हर चुनाव में हैदराबाद पर अपनी पकड़ बरकरार रखी है. 2019 में बीजेपी के भगवंत राव के खिलाफ 2.82 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल करने वाले ओवैसी ने 2014 में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 2.02 लाख वोटों के अंतर से हराया था. असदुद्दीन ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी 6 बार हैदराबाद से चुने गए थे. 1996 में उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता एम. वेंकैया नायडू को हराया था. 2004 में खराब स्वास्थ्य के कारण सलाहुद्दीन ओवैसी ने चुनाव नहीं लड़ा और तब से असदुद्दीन ओवैसी इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

कौन हैं माधवी लता?
एक पेशेवर भरतनाट्यम नृत्यांगना माधवी लता इससे पहले राजनीति में सक्रिय नहीं रही हैं. हालांकि कई कारकों के कारण बीजेपी ने उन्हें ओवैसी से मुकाबला करने के लिए उनके गढ़ में अपना उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने हैदराबाद में कभी भी किसी महिला को मैदान में नहीं उतारा है. माधवी लता के बारे में कहा जाता है कि वह पुराने शहर के कुछ हिस्सों में परोपकारी गतिविधियों में सक्रिय हैं. पार्टी उनके कार्यों के जरिए मुस्लिम वोटों का फायदा उठाना चाह रही है. अपने हिंदुत्व समर्थक भाषणों के लिए मशहूर माधवी लता ने तीन तलाक के खिलाफ भी अभियान चलाया था. कहा जाता है कि वह विभिन्न मुस्लिम महिला समूहों के संपर्क में हैं. लता लातम्मा फाउंडेशन और लोपामुद्रा चैरिटेबल ट्रस्ट की ट्रस्टी हैं और निराश्रित मुस्लिम महिलाओं की आर्थिक मदद भी करती रहती हैं. वह एक गौशाला भी चलाती हैं. बीजेपी से टिकट की आकांक्षी रहीं लता ने पहले ही पुराने शहर के कुछ हिस्सों में महिलाओं से मिलना शुरू कर दिया था. पिछले महीने उन्होंने बुर्का पहनी महिलाओं के बीच राशन बांटते हुए अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की थीं. कार्यक्रम का आयोजन लैथमा फाउंडेशन के तत्वावधान में किया गया था।

हिंदुत्व के मुद्दों पर खुलकर बोलती है माधवी
माधवी लता अपनी संस्था के जरिए, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और भोजन वितरण कार्यक्रम आयोजित करती हैं. अपने मोबाइल नंबर पर मिस्ड कॉल से जरूरतमंदों को मदद भी करती हैं. बीजेपी द्वारा उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित करने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी प्रोफाइल में ‘मिशन हैदराबाद पार्लियामेंट’ जोड़ दिया है. एआईएमआईएम की कटु आलोचक, लता कहती हैं कि इस पार्टी ने कभी भी निर्वाचन क्षेत्र में गरीबी और खराब नागरिक सुविधाओं के सुधार का प्रयास नहीं किया. कोटि महिला कॉलेज से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएट लता उस सफलता की तलाश में हैं, जहां अतीत में वेंकैया नायडू जैसे बीजेपी के दिग्गज असफल रहे थे. वह हैदराबाद के विरिंची अस्पताल की चेयरमैन भी हैं, जिसकी स्थापना उनके पति विश्वनाथ ने की थी. वह एक धार्मिक वक्ता भी हैं और अक्सर हिंदू मुद्दों पर बोलती रहती हैं.

इस सीट पर ओवैशी परिवार की बोलती है तूती
आजादी के बाद से हैदराबाद में लोकसभा के हुए कुल 17 चुनावों में दस बार ओवैसी परिवार की जीत हुई है। सिर्फ सात बार ही अन्य को मौका मिला है। कांग्रेस को अंतिम जीत 1980 में मिली थी। 1984 में असदुद्दीन के पिता सलाहुद्दीन ओवैसी ने पहली बार कांग्रेस की जीत के सिलसिले पर ब्रेक लगाया था। उसके बाद किसी दल की दाल नहीं गली। लगातार छह चुनाव सलाहुद्दीन ने जीते और असदुद्दीन ने चार चुनाव।

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