Kharmas Khatam : एक माह से चल रहा खरमास 13 अप्रैल को समाप्त हो रहा है। खरमास समाप्ति के बाद मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएंगे। पंचांग के अनुसार 13 अप्रैल की रात 11.19 बजे सूर्य मेष राशि मं, प्रवेश करेंगे। इसी के साथ एक मास से चल रहा खरमास समाप्त हो जाएगा। इसके बाद विवाह के लिए शुभ मुहूर्त 18, 19, 20, 21, 22, 23, 26 व 28 अप्रैल मिलेंगे।

विवाह के लिए गुरु और शुक्र का उदय होना अनिवार्य होता है। अप्रैल में 29 तारीख को शुक्र व छह मई को गुरु अस्त हो जाएंगे। इस तरह शुक्र व गुरु के अस्त होने के कारण पुनः मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। ऐसी स्थिति में मई व जून में लग्न मुहूर्त नहीं मिलेंगे। तीन जून को गुरु व 28 जून को शुक्र उदय होंगे। इसके बाद जुलाई में ही विवाह मुहूर्त मिलेंगे।

इस दिन से शुरू होंगे शादी-विवाह के कार्यक्रम
13 अप्रैल को खरमास की समाप्ति के बाद 18 अप्रैल को शादी-विवाह भी शुरू हो जाएंगे. अप्रैल महीने में शादी के लिए 7 शुभ मुहूर्त है. महीने की 18, 19, 20, 21, 23, 24, और 25 को शादी-विवाह का शुभ मुहूर्त है. अप्रैल के बाद शादी-विवाह का शुभ मुहूर्त मई-जून में नहीं है. जुलाई में ही शादी-विवाह का मुहूर्त होगा. 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। इस दिन से चार महीने के लिए चातुर्मास प्रारंभ हो जा रहा है। हिंदू शास्त्र के अनुसार इन चार महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य करने का विधान नहीं है। जुलाई की बात करें से 9 से 17 जुलाई तक शादी और अनुष्ठान का योग है, वहीं फिर चार महीने से शादी विवाह बंद हो जायेगा। इस दौरान चातुर्मास प्रारंभ होगा। फिर नवंबर में 17, 18, एवं 22 से 26 तक और दिसंबर में 2 से 5 तक एवं 9, 10, 11, 13, 15 को शादी विवाह हो सकते हैं।

पूरे साल 73 वैवाहिक लग्न मुहूर्त हैं

इस साल 2024 में कुल सात महीने में 73 दिन वैवाहिक योग्य लग्न मुहूर्त आचार्यों ने बताए हैं। उनमें विशेष यह कि साल की शुरुआत के तीन महीने में ही आधे से अधिक यानी 38 दिन लग्न मुहूर्त के हैं।इस साल 2024 में कुल सात महीने में 73 दिन वैवाहिक योग्य लग्न मुहूर्त आचार्यों ने बताए हैं। उनमें विशेष यह कि साल की शुरुआत के तीन महीने में ही आधे से अधिक यानी 38 दिन लग्न मुहूर्त के हैं।ग्रीष्मकालीन लग्न मुहूर्त काफी कम हैं। अप्रैल में 10 और जुलाई में नौ वैवाहिक योग्य लग्न मुहूर्त बताए जाते हैं। बाकी 16 लग्न मुहूर्त नवंबर-दिसंबर में हैं।बता दें कि हिंदू सनातन धर्म में वैवाहिक मुहूर्त तिथि का विशेष महत्व है। बगैर शुभ मुहूर्त के लोग विवाह कार्य का संपादन नहीं करते। इसकी गणना में वैवाहिक जोड़ों के जन्म फलादेश और राशि नाम को आधार में रखकर तिथि, वार व ग्रहों के प्रकार का ज्योतिषियों द्वारा विशेष ध्यान दिया जाता है।

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