रांची। कल्पना सोरेन के राजनीति में आने को लेकर भले ही विरोधी परिवारवाद का आरोप लगाते हों, लेकिन कल्पना सोरेन का मानना है कि परिस्थिति की वजह से उन्हें राजनीति में आना पड़ा। PTI के साथ इंटरव्यू में कल्पना सोरेन ने राजनीति में उतरने को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में कहा कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद पार्टी के अंदर हालात ऐसे बने, कि उन्हें राजनीति में आना पड़ा। उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता चिंतित थे, कि अब आगे क्या होगा, ऐसे में उनकी नौतिक जिम्मेदारी बनती थी, कि वो आगे आयें। कल्पना सोरेने कहा कि वो भरपूर कोशिश कर रही है कि हेमंत सोरेन की खाली जगह पर वो भर सकें

क्यों आना पड़ा राजनीति में ?
कल्पना सोरेन ने कहा कि 31 जनवरी के बाद से परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गयी। जिम्मेदारियां मेरी बहू के रूप में, पत्नी और मां के रूप में थी, लेकिन 31 जनवरी को हेमंत जी ईडी की गिरफ्त में हो गये, हमलोगों के राजनीतिक जीवन में, पार्टी के जितने नेता है, कार्यकर्ता हैं सभी चिंतित हो गये कि अब क्या होगा। कार्यकर्ताओं की तरफ से बातें आने लगी कि आपको सामने आना होगा। कार्यकर्ताओं का उतना रूझान, उतना प्यार नेता के लिए आया, तो मेरी नैतिक जिम्मेदारी थी, कि मैं उस खालीपन का भर सकूं। जब तक हेमंत जी नहीं आते हैं, तब तक पार्टी को प्रखर रूप से आगे बढ़ाना ही था। पार्टी की तरफ से, शिबू सोरेन की तरफ से ये जिम्मेदारी आयी कि इसे लेकर आपको बढना है।

हेमंत सोरेन के खिलाफ कार्रवाई को आप क्या मानती है?
कल्पना सोरेन ने वहीं एक अन्य सवाल में भाजपा की नीति और नियत पर सवाल खड़ा किया। ED और सेंट्रल एजेंसी की जांच को लेकर सवाल उठाते हुए कल्पना सोरेन ने कहा कि ईडी की ज्यादातर कार्रवाई गैर भाजपा शासित राज्यों में ही क्यो होता है। अगर भाजपा शासित राज्यों में होता भी है तो वो बहुत जल्द बंद क्यों हो जाता है। हेमंत सोरेन के केस में कुछ भी नहीं है, कोई भी तथ्य नहीं है। सिर्फ षड़यंत्र करके ही ये केस बनाया है। इसमें हेमंत जी की कोई भी संलिप्तता नहीं है। आज पूरे तीन महीने हो गये। ना कोई कागज है, ना कोई प्रमाण है, तो फिर आखिर किस आधार पर हेमंत जी को गिरफ्तार करके रखा गया है।

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