रांची। झारखंड समृद्धि और संसाधन के मामले में तो काफी लकी है, लेकिन दुर्भाग्य है कि ये प्रदेश राजनीतिक रूप से काफी अनलकी रहा है। इस राज्य के दो मुख्यमंत्री जेल के सलाखों के पीछे रहे हैं। हेमंत सोरेन से पहले मधु कोड़ा को भी भ्रष्टाचार के मामले में जेल की हवा खानी पड़ी थी। झारखंड का इतिहास कुछ ऐसा रहा है कि 23 साल के दौर में यहां जनता ने 11 मुख्यमंत्री देख लिए और तीन बार राष्ट्रपति शासन देखा है।

झारखंड के मुख्यमंत्रियों का औसत कार्यकाल लगभग 1.5 वर्ष ही है। राज्य को एक स्वतंत्र उम्मीदवार को भी सीएम बनाने का गौरव प्राप्त है, जिन्होंने 2 साल तक इस कुर्सी को संभाला। अपने 23 साल के छोटे से इतिहास में, झारखंड ने सिर्फ एक मुख्यमंत्री को पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करते देखा है. झारखंड के प्रारंभिक वर्ष 2000 और 2014 के बीच, झारखंड में पांच मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व में नौ सरकारें देखी गईं और तीन बार राष्ट्रपति शासन लगा. बीजेपी के बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने, जो करीब दो साल तीन महीने तक सत्ता में रहे।

2000 से 2014 के बीच मुख्यमंत्रियों बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा और हेमंत सोरेन का कार्यकाल औसतन 15 महीने रहा. पत्रकार ने कहा, “रघुबर दास (सिंहभूम क्षेत्र के दोनों दिग्गज) ने अर्जुन मुंडा को चतुराई से 2014 का विधानसभा चुनाव हारने के लिए मजबूर कर दिया था.” 14 वर्षों के समय में, झामुमो के शिबू सोरेन और भाजपा के अर्जुन मुंडा ने तीन-तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जबकि हेमंत सोरेन, मधु कोड़ा और बाबूलाल मरांडी अकेले ही मुख्यमंत्री बने. शिबू सोरेन के तीन बार सीएम बनने में उनका 10 दिन का कार्यकाल भी शामिल था, जब उनकी सरकार झारखंड विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर सकी थी।

शिबू सोरेन, जो सिर्फ 10 दिन ही रह सके थे सीएम
सभी कहानियों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली कहानी शिबू सोरेन की है. बिहार से अलग होकर अलग राज्य झारखंड बनवाने में शिबू सोरेन का सबसे अहम योगदान माना जाता है. मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल में वह इस कुर्सी पर महज 10 दिन ही बैठ सके थे. ‘गुरुजी’ कहे जाने वाले शिबू सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की स्थापना की. वह निवर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता हैं, जिन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भूमि घोटाले में गिरफ्तार किया है।

पहले सीएम बाबूलाल मरांडी को छोड़ना पड़ा पद
15 नवंबर 2000 को झारखंड बनने के साथ ही BJP सरकार में बाबूलाल मरांडी ने पहली बार राज्य की कमान संभाली और झारखंड के पहले CM बने। हालांकि, वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। उन्हें आंतरिक विरोध के कारण मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा।

शिबू सोरेन तीन बार रहे मुख्यमंत्री
झारखंड आंदोलन से जुड़े शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। पहली बार 2005 में वो CM की कुर्सी पर बैठे, लेकिन बहुमत साबित ना कर पाने के कारण 10 दिनों में ही इस्तीफा देना पड़ा था। जबकि उनके बेटे हेमंत सोरेन ने दो बार राज्य की बागडोर संभाली। हालांकि, पहली बार भी हेमंत अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे। अब दूसरी बार भी 10 महीने पहले ही इस्तीफा देना पड़ा है।

अर्जुन मुंडा 3 बार मुख्यमंत्री बने
झारखंड BJP के आदिवासी चेहरे के तौर पर जाने जानेवाले अर्जुन मुंडा तीन बार मुख्यमंत्री बने। 18 मार्च 2003 को वो पहली बार CM बने। इसके बाद दो बार उन्होंने CM की कुर्सी संभाली, लेकिन कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।

जब मधु कोड़ा बने मुख्यमंत्री
18 सितंबर 2006 को निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा ने कमान संभालते हुए राज्य के पांचवें CM के तौर पर शपथ ली थी। वो दो साल से भी कम समय के लिए पद पर रहे। निर्दलीय विधायक रहते हुए भी CM बनने के कारण उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।

रघुवर दास ने पूरा किया कार्यकाल
हेमंत सोरेन की सरकार के बाद विधानसभा चुनाव हुए। इस बार विधानसभा चुनाव में BJP गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला और राज्य में पहली बार एक ही सरकार पूरे पांच साल चली। BJP सरकार का नेतृत्व रघुवर दास ने किया। वे 28 दिसंबर 2014 से 28 दिसंबर 2019 तक पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहे। जब 2019 में विधानसभा चुनाव हुआ तो BJP ने सत्ता गंवा दी। फिर 29 दिसंबर 2019 में यहां हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने।

हेमंत सोरेन चार साल से ज्यादा CM रहे
हेमंत सोरेन ने 29 दिसंबर 2019 को CM पद की शपथ ली थी। वह चार साल एक महीने झारखंड के मुख्यमंत्री रहे।हेमंत सोरेन उन मुख्यमंत्रियों की लंबी सूची में शामिल हो गए हैं जो अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके हैं। झारखंड में जो राजनीतिक बदलाव देखने को मिला, हेमंत उसका हिस्सा हैं. वह, अपने पिता शिबू सोरेन की तरह, झारखंड के तीसरे मुख्यमंत्री हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है. जबकि इसी कड़ी में गिरफ्तार होने वाले दूसरे सीएम मधु कोड़ा है।

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