रांची। नियोजन नीति कोर्ट से खारिज होने के बाद सरकार पर लगातार दवाब बढ़ता जा रहा है। रामगढ़ में जिस तरह से पिछले दिनों युवाओं का गुस्सा मंत्रियों पर भड़का था, उसने सरकार के माथे पर शिकन ला दिया है। लिहाजा, अब सरकार नियोजन नीति पर नये सिरे से मंथन में जुट गयी है। खबर है कि झारखंड से ही मैट्रिक व इंटर करने की बाध्यता को भले ही कोर्ट ने खत्म करने का निर्देश दिया है, लेकिन राज्य सरकार इसे नये सिरे से नियुक्तियों में जोड़कर नयी नियोजन नीति तैयार करने पर विचार कर रही है।

चर्चा है कि हाईकोर्ट की ओर से निरस्त की गई नियोजन नीति में भाषा के आधार पर सरकार समझौता कर सकती है। सरकार ने इसी बीच सर्वे भी शुरू कर दिया है। हालांकि मैट्रिक-इंटर की अनिवार्यता को नये सिरे से शर्तों में शामिल करना सरकार चाहती है। नियुक्ति परीक्षा में शामिल होनेवाले अभ्यर्थियों से इस बारे में उनका पक्ष जानने की कोशिश शुरू की गई है। माना जा रहा है कि इस सर्वे के आधार पर नीति को संशोधित करते हुए राज्य सरकार आगे कदम बढ़ाएगी।

हाईकोर्ट से नियोजन नीति रद्द होने के बाद अभी क इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी गयी है। जाहिर है राज्य सरकार की मंशा चुनौती देने से ज्यादा नयी नियोजन नीति तैयार करने की है। इसके पूर्व कार्मिक विभाग की ओर से नीति को निरस्त करने की अनुशंसा के साथ ही पहले जिस आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही थी, उसी को जारी रखने का प्रस्ताव दिया गया था। यह प्रस्ताव सत्ताधारी गठबंधन के शीर्ष नेताओं को पसंद नहीं आ रहा है। इसी कारण से इसे अभी रोका गया है।

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