देवघर । स्वास्थ्य विभाग पर एक बार फिर शर्मनाक आरोप लगा है। ये आरोप किसी और वजह से नहीं बल्कि प्रसव कराने के एवज में पैसे लेने की वजह से लगा है। आखिर ये सवाल फिर से एक बार ज्वलंत बन गई की आखिरकार यदि सरकारी संस्थान में हर काम के लिए पैसे ही लगेंगे तो फिर गरीब कहां जायेंगे। ये ताजा मामला जिले के सारवां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है।

क्या है आरोप

जिले के सारवां प्रखंड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की एक एएनएम पर प्रसव के नाम पर रुपए लेने का आरोप लगा है. यह आरोप सारवां थाना क्षेत्र के मडवा मनीडीह निवासी मोहन यादव ने लगाया है. मोहन का आरोप है कि सीएचसी में कार्यरत एएनएम गायत्री मुर्मू ने पुत्री का प्रसव कराने के नाम पर एक हजार रुपए ऐंठ लिए. संबंधित मामले में पीड़ित मोहन यादव ने बताया कि पुत्री का प्रसव कराने के लिए सीएचसी सारवां पहुंचे थे, लेकिन अस्पताल में कोई उनकी पुत्री पर ध्यान नहीं दे रहा था. प्रसव के पूर्व पैसे की मांग की गई.

एएनएम पर बार बार रिश्वत लेने का लगाया आरोप

पुत्री को प्रसव पीड़ा से तड़पता देख कर मोहन यादव ने एएनएम गायत्री मुर्मू को एक हजार रुपए दे दिए. आरोप है कि इसके बाद फिर से एएनएम गायत्री मुर्मू ने और पैसे की मांग की. इस पर मोहन ने पैसे देने में असमर्थता जताई. इस पर एएनएम ने कहा कि अगर पैसे नहीं दोगे तो सही से इलाज नहीं हो पाएगा. साथ ही प्रसूता को दूसरे जगह ले जाने की बात कही. इस पर मनोज ने आपत्ति जतायी और कहा कि जब सरकारी अस्पताल है तो पैसे क्यों देंगे. वह भी जितना सक्षम थे उतना दे दिए, लेकिन जबरन पैसा मांगना उचित नहीं है. इस बात पर अस्पताल में हंगामा हो गया.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन

इस संबंध में देवघर के सिविल सर्जन डॉ रंजन सिन्हा ने कहा कि इस तरह का मामला अभी तक संज्ञान में नहीं आया है. अगर इस तरह की घटना सारवां सीएचसी में घटी है तो पैसे मांगने वाली एएनएम पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

पैसे की उगाही केंद्र बन रहा प्रसव गृह

ऐसा नहीं है कि पैसे का लेनदेन का आरोप पहली बार लगा है। प्रसव गृह केंद्र एक तरह से पैसे कमाने का सबसे सुलभ संस्थान बनता जा रहा है। आखिर कर्मचारी प्रसव के नाम पर पैसे लेने को अपना अधिकार क्यों समझते हैं। कर्मियों और चिकित्सकों को ये समझना होगा की उन्हीं काम के लिए सरकार उन्हें वेतन देती है। जिले के सिविल सर्जन भले इस जांच की बात कर रहे हों परंतु इसपर लीपापोती से इंकार नहीं किया जा सकता।

इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है की यदि आरोपी एएनएम को हटा भी दिया जाता है तो उनके बदले आने वाली ANM पैसे का लेनदेन का काम नहीं करेंगे। पद पर बैठे जिम्मेदार पदाधिकारी को इस मुद्दे पर गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है कि कैसे इस तरह के आरोपों को हमेशा हमेशा के लिए दरकिनार करते हुए गरीबों के लिए सुलभ स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध कराई जा सके।

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