प्रमोशन में आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक: नए नियम लागू करने से इंकार, सरकार से मांगा स्पष्ट जवाब, पूछा, जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित, तो फिर नये नियम क्यों..

High Court's stay on reservation in promotion: Refusal to implement new rules, sought clear answer from the government, asked, when the matter is pending in the Supreme Court, then why new rules..

Highcourt News: सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, तो फिर इस मामले में नया नियम बनाने की क्यों जरूरत पड़ी। मामला मध्यप्रदेश राज्य का है, जहां राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी के साथ बड़ा झटका दिया है।

 

दरअसल प्रमोशन में आरक्षण को लेकर एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने सुनवाई की। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने नए प्रमोशन नियमों (2025) के तहत फिलहाल किसी भी तरह की पदोन्नति पर रोक लगा दी है। आपको बता दें कि वर्ष 2016 से ही प्रमोशन प्रक्रिया ठप है। इसकी बड़ी वजह है आरक्षण संबंधी मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होना।

 

कोर्ट ने पूछा– जब सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित, तो नए नियम क्यों?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्ट सवाल पूछा कि जब यह मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो सरकार ने नए नियम बनाने की जरूरत क्यों समझी? क्या पहले सुप्रीम कोर्ट से पुराना मामला वापस नहीं लिया जाना चाहिए था?

 

2002 और 2025 के नियमों में अंतर नहीं समझा सकी सरकार

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल कोर्ट को यह स्पष्ट नहीं कर सके कि 2002 की नीति और 2025 की नई नीति में मूलभूत अंतर क्या है। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब तक अंतर स्पष्ट नहीं होता और कोर्ट अंतिम निर्णय नहीं देती, तब तक नए नियम लागू नहीं किए जा सकते।

 

याचिकाकर्ता का तर्क: संविधान के खिलाफ है यह नीति

सपाक्स संघ की ओर से दायर याचिकाओं में अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु ने दलील दी कि प्रमोशन में आरक्षण देने की वर्तमान नीति संविधान के अनुच्छेदों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले अंडरटेकिंग दी थी कि नए नियम लागू नहीं किए जाएंगे, लेकिन अब बिना स्पष्टता के नई नीति लागू कर दी गई है।

 

सरकार ने जून 2025 में नई पदोन्नति नीति लागू की थी, जिसमें आरक्षण को शामिल किया गया। इसे तीन अलग-अलग याचिकाओं के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह 2002 और 2025 की नीतियों में अंतर का स्पष्ट विवरण अगली सुनवाई में प्रस्तुत करे। अगली सुनवाई की तारीख 15 जुलाई (मंगलवार) निर्धारित की गई है।

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