रांची: झारखंड उच्च न्यायालय में JSSC की स्नातक परीक्षा संचालन संशोधन नियमावली 2021 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने करीब ढाई घंटे तक दलील को सुना। आज प्रार्थियों की ओर से बहस पूरी कर ली गयी। प्रार्थियों ने नियमावली को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त करने का आग्रह किया, इस मामले की अगली सुनवाई अब पांच सितंबर को होगी।

राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता सुनील कुमार व अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने बहस शुरू की, लेकिन ये बहस पूरी नहीं हो सकी। इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अधिवक्ता कुमार हर्ष ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि जेएसएससी नियमावली से सामान्य कोटि के विद्यार्थियों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है. यह संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन है।

अधिवक्ता ने दलील दी कि नियमावली में सामान्य श्रेणी के छात्रों के मामले में यह शर्त लगाना कि राज्य के मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान से 10वीं व इंटर की परीक्षा पास करनेवाले ही नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होंगे, जबकि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के मामले में यह शर्त शिथिल रहेगा, यह गलत है। वहीं भाषा के पेपर से हिंदी व अंग्रेजी को हटाना पर भी कोर्ट में कहा गया कि ये फैसला उचित नहीं है। JSSC की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल ने पैरवी की। इस मामले में प्रार्थी रमेश हांसदा, अभिषेक कुमार दुबे, विकास कुमार चौबे, रश्मि कुमारी व अन्य की ओर से अलग-अलग याचिकाएं दायर कर JSSC की नियमावली को चुनौती दी गयी है.

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